मुरादाबाद संवाददाता
मुरादाबाद : तालीम से दीन और दुनिया रोशन होंगे। इससे जिहालत का अंधेरा दूर होगा। दुनियावी अ...
मुरादाबाद : तालीम से दीन और दुनिया रोशन होंगे। इससे जिहालत का अंधेरा दूर होगा। दुनियावी और समाजी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए भी आपका तालीम याफ्ता होना बहुत जरूरी है।
ये बातें शुक्रवार को प्रसिद्ध मदरसा जामिया नईमिया दीवान का बाजार में बुखारी शरीफ के आखिरी दर्स के बाद शेखुल हदीस मुफ्ती अय्यूब खां नईमी ने कहीं। मौलवियत से फारिग हुए 117 तालिबे इल्मों को उनके साथियों ने मुबारकबाद दी। शाम में असर की नमाज अदा करने के बाद फजीलत के 117 तालिबे इल्म कतार लगाकर बैठ गए थे। उस्ताद भी इस मुबारक लम्हे में शागिर्दो को दुआओं से नवाजने के लिए नमाज के बाद प्रोग्राम में बैठ गए थे। मदरसा प्रिसिंपल और शेखुल हदीस ने आखिरी दर्स के बाद तालिबे इल्मों को दुआओं से नवाजा। इमाम बुखारी की जिंदगी के बारे में उन्होंने बताया कि हमेशा वजू करने के बाद ही हदीस शरीफ का इकट्ठा किया। कई हजार हदीस आपको याद थी, जिससे आज हम फायदा हासिल कर रहे हैं। इससे दीन और दुनिया दोनो ही संवर जाएंगी। इसके बाद मुल्क की तरक्की और खुशहाली की दुआ कराई गई। इसमें अल्लामा मुहम्मद हाशिम, मौलाना रफीक, मौलाना यामीन, मुफ्ती सुलेमान नईमी, मौलाना गुलाम यासीन, मौलाना अकबर अली, मुफ्ती करामत अली, हाफिज मुख्तार, कारी सज्जाद हुसैन नसीरी, डॉ. मुहम्मद आसिफ हुसैन, मास्टर निजाम अली आदि रहे। शुक्रिया मुफ्ती बाकर अली नईमी ने किया
तालिबे इल्मो ने उस्तादों के हाथों का लिया बोसा
मदरसे में तालिबे इल्मों ने बुखारी शरीफ के आखिरी दर्स के बाद उस्तादों के हाथों का बोसा लिया। दुआ के लिए गुजारिश की। इसके साथ ही साथियों ने फूलों की माला पहनाकर मुबारकबाद दी।