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कांग्रेस और सपा उम्मीदवार के सामने अपसी गुटबाजी और पार्टीजनों के विरोध को थामना बड़ी चुनौती है। वहीं भाजपा प्रत्याशी के सामने कई खेमों में बंटी पार्टी को साधना अहम होगा। ...
मुरादाबाद:-मुरादाबाद लोकसभा सीट पर पहले कांग्रेस और अब सपा के टिकट में बदलाव के बाद समीकरण बदल सकते हैं। कांग्रेस और सपा उम्मीदवार के सामने अपसी गुटबाजी और पार्टीजनों के विरोध को थामना बड़ी चुनौती है। वहीं भाजपा प्रत्याशी के सामने कई खेमों में बंटी पार्टी को साधना अहम होगा।
समाजवादी पार्टी से पूर्व प्रत्याशी डॉ. एसटी हसन का टिकट फाइनल होने के बाद मुरादाबाद सीट पर सियासत का रुख बदलाव की राह पर दिख रहा है। इसमें वोटों का धुव्रीकरण और समीकरणों की स्थिति काफी हद तक नतीजों में उलटफेर कर सकती है। सपा में आपसी गुटबाजी और टिकट दावेदार भले ही पार्टी के सच्चे सिपाही होने की बात कह रहे हों, लेकिन उनकी चुप्पी काफी कुछ कह रही है। इस सीट पर सपा के दावेदारों में पहले पूर्व प्रत्याशी डॉ. एसटी हसन और पूर्व मंत्री कमाल अख्तर थे। दोनों के बीच गुटबाजी को थामने का प्रयास करते हुए पार्टी ने डेढ़ साल पहले सपा में आने वाले नासिर कुरैशी को उम्मीदवार बना दिया। गुरुवार को टिकट दिया और शनिवार को चुनाव चिह्न वापस ले लिया। अब नासिर और पूर्व मंत्री कमाल अख्तर के समर्थकों की रणनीति क्या रहती है? यह तो भविष्य के गर्त में हैं, लेकिन इतना जरूर है कि टिकट का बदलना आमजनों में चर्चा का विषय है।
पहले राजबब्बर को घोषित किया था प्रत्याशी
कांग्रेस में ही भी यही हाल है। पहले इस सीट पर प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को प्रत्याशी घोषित किया गया था। बाद में उनका टिकट काटकर शायर इमरान प्रतापगढ़ी को दे दिया गया। अब इनका विरोध बाहरी बताकर किया जा रहा है। हालांकि 2009 के चुनाव में कांग्रेस से क्रिकेटर मुहम्मद अजहरुद्दीन विजय हासिल कर चुके हैं। उन पर बाहरी होने के आरोप लगे लेकिन स्टार प्रचारक होने के चलते जनता ने उनको भरपूर प्यार दिया और संसद तक भिजवाया। इस बार कांग्रेस ने फिर से स्टार प्रचारक शायर इमरान प्रतापगढ़ी को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि कांग्रेसजन बाहरी बताकर दिल्ली और लखनऊ तक अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।
भाजपा उम्मीदवार सर्वेश कुमार सिंह ने पिछली बार मोदी लहर में चुनाव जीत लिया था। इस बार मोदी लहर तो नहीं है, लेकिन भाजपा दावा कर रही है कि इस बार मोदी के काम हैं। हालांकि भाजपा प्रत्याशी की खिलाफत मुरादाबाद सीट पर कम नहीं है। कई धड़ों में बंटी भाजपा में गुटबाजी इस कदर है कि कोई सामने तो नहीं आ रहा है, लेकिन गुटबंदी हावी है। सियासी दिग्गज माने जाने वाले भी अप्रत्यक्ष रूप से विरोध में हैं। भले ही जनसंपर्क, नामांकन और सभाओं में साथ दिखते हैं। पार्टी पूरी तरह से एकजुटता का दावा जरूर कर रही है।
पिछली बार इतने वोटों से जीते थे सर्वेश
लोकसभा चुनाव 2014 की बात करें तो मोदी लहर में मुरादाबाद सीट पर कुंवर सर्वेश कुमार सिंह 485224 वोट लेकर जीते थे, जबकि सपा प्रत्याशी डॉ. एसटी हसन 397720 लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। बसपा प्रत्याशी हाजी याकूब कुरैशी ने 160945 मत हासिल किए थे। इस बार पूर्व प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं और बसपा गठबंधन में साथ हैं। वहीं कांग्रेस इस बार भी अकेली लड़ रही है। पिछली बार बेगम नूरबानो चुनाव लड़ीं थीं, जो 19732 वोट पाकर अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी थीं, जबकि 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कंाग्रेस प्रत्याशी मुहम्मद अजहरुद्दीन ने 301283 वोट पाकर जीत हासिल की थी। भाजपा के कुंवर सर्वेश कुमार सिंह 252176 और सपा प्रत्याशी मोहम्मद रिजवान ने 27982 और बसपा के राजीव चन्ना ने 147594 मत हासिल किए थे।