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LokSabha Elections 2019 में घोषित व संभावित उम्मीदवारों को दूसरे दलों की बजाय पहले अपनों से ही लडऩा पड़ रहा है। पार्टी नेतृत्व घोषित उम्मीदवारों को बदलने के लिए दबाव भी बना रहा है।...
गोरखपुर:-Elections के लिए सियासी पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है। सपा-बसपा गठबंधन को छोड़कर अन्य दलों ने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है। मजे की बात यह है कि घोषित व संभावित उम्मीदवारों को दूसरे दलों की बजाय पहले अपनों से ही लडऩा पड़ रहा है। पार्टी नेतृत्व घोषित उम्मीदवारों को बदलने के लिए दबाव भी बना रहा है। जोड़- तोड़ की सियासत के बीच 19 मई के पहले ही घमासान शुरू हो चुका है। जाहिर तौर पर तो नहीं अंदर ही अंदर टिकट के दावेदारों ने अपने ही समर्थकों से विरोध शुरू करा दिया है।
महराजगंज में जैसे ही यह पता चला कि एक पार्टी द्वारा टिकट घोषित कर दिया गया है तो टिकट की प्रत्याशा में लगे एक नेता ने विरोध में गोटियां बिछानी शुरू कर दी। अपने वेतनभोगी कार्यकर्ताओं को आगे कर जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे भी लगवाए। यहां तक कि कुछ लोगों की प्रतिक्रिया को रिकार्ड कर और कथित विरोध प्रदर्शन का वीडियो बना पार्टी हाईकमान तक पहुंचाने की व्यवस्था भी की गई। इन सबके बीच विरोध करा रहे नेता खुद आगे न आकर अपने लिए संभावना छोड़ हुए हैं। कमोवेश यह स्थिति सभी दलों के साथ है। उठापटक की इस सियासी दौर में कब ऊंट किस करवट बैठ जाएं, कहा नहीं जा सकता है।
अभी अपनों से ही जंग लड़ रहे राजनैतिक दलों के दावेदार
संतकबीर नगर लोकसभा सीट के लिए 12 मई को मतदान होना है, लेकिन अभी तक यहां प्रमुख दलों के उम्मीदवारों का नाम औपचारिक रूप से सामने नहीं आ सका है। वर्तमान में यहां विभिन्न दलों में अपनों के बीच ही जंग देखने को मिल रही है। चुनाव की घोषणा होने के पहले ही खलीलाबाद के जूनियर हाईस्कूल परिसर में सपा के दो खेमों के बीच मारपीट का मामला सामने आया था। इसी दिन सपा के जिलाध्यक्ष की हृदयाघात से मौत भी हो गई थी। इसके बाद एक खेमे के अगुआ दूसरे दल के दरवाजे पर दस्तक देने में लगे हैं। यह चर्चा कायम ही थी कि जिला योजना समिति की बैठक के दौरान भाजपा में सांसद और विधायक के बीच जूता कांड हो जाने से माहौल गरमा गया। इसके बाद चुनाव के तिथियों की घोषणा हो जाने के बाद कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद कार्यकर्ताओं ने विरोध जताना शुरू कर दिया, जो अब तक जारी है। सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन से भी अभी तक औपचारिक रूप से किसी के नाम की घोषणा नहीं की जा सकी है। हालांकि यहां विशेष उठापटक का मामला सामने नहीं आ रहा है, लेकिन नाम घोषित नहीं होने से असमंजस तो बना हुआ है। सबसे कड़ी टक्कर का दौरा सत्तासीन भाजपा में सामने आ रहा है, जहां कई दावेदारों की ओर से संगठन के बड़े नेताओं के पास पहुंच बनाने का कार्य किया जा रहा है। कुल मिलाकर जिले के सभी राजनैतिक दलों में अभी तक अपनों के बीच ही जंग जारी है।
चौपाल : बेहतर प्रत्याशी चुनने पर जोर
सातवें चरण में 19 मई को महराजगंज की पांच विधानसभा क्षेत्रों में मतदान की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे समाज के हर तबके के लोग चुनावी चर्चा में लीन हो रहे हैं। सार्वजनिक स्थल हो या घर हर जगह चुनाव के बारे में चर्चाएं हो रहीं हैं। लोग अपना स्वतंत्र विचार रखकर अपनी पसंद-नापसंद पर चर्चा तथा विकास के दृष्टिगत प्रत्याशी चुनने पर जोर दे रहे हैं । चुनाव को लेकर हर वर्ग दिन-प्रतिदिन गंभीर होता जा रहा है। घर हो या सार्वजनिक जगह, हर जगह चुनाव की बातें छिड़ी हुई हैं। केंद्र बिंदु में प्रत्याशी का चयन तथा चयन में ध्यान देने वाली बाते हैं। सरोजनी नगर स्थित डिवाइन स्कूल में चर्चा करते हुए शिक्षक उत्साहित हैं। प्रधानाचार्य आलोक रंजन त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षित व सामाजिक व्यक्ति ही जनप्रतिनिधि चुना जाना चाहिए। प्रीति पटेल ने कहा कि प्रत्याशियों को चुनने से पहले उनके शैक्षिक योग्यता व विकास में उनके संघर्ष को भी देखना जरूरी है। चर्चा के दौरान पहुंची शालिनी मिश्रा ने कहा कि मत का अधिकार महत्वपूर्ण है, इसके बारे में समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए। शैलजा, साफिया व अंबिका ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को नहीं चुना जाना चाहिए जिससे विकास ठप हो जाए। रागिनी व सुप्रिया ने कहा कि प्रत्याशियों को अपने पैमाने पर परख कर ही मत देना चाहिए। रोशिन ने कहा कि मतदान फीसद बढ़ाने पर सभी को अपना सौ फीसद योगदान देना चाहिए।