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पीएम ने दलित सम्मान का मुद्दा उठाकर पश्चिमी उप्र की सियासत को नई धार देने की कोशिश की है। उन्होंने बाबा साहब आंबेडकर जोगेंद्र नाथ मंडल व जगजीवन राम के अपमान पर दलितों को चेताया।...
मुरादाबाद:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलित सम्मान का मुद्दा उठाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत को नई धार देने की कोशिश की है। शुक्रवार को सहारनपुर और अमरोहा की रैलियों में मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे।
बाबा साहब भीमराव आंबेडकर, जोगेंद्रनाथ मंडल एवं बाबू जगजीवन राम के अपमान के किस्से सुनाकर न सिर्फ कांग्रेस को घेरा बल्कि, जनता को यह समझाने की भरपूर कोशिश की कि कांग्रेस का साथ देकर बसपा व सपा उसके दोष में सहभागी बन रही हैं। मोदी जब दलित नेताओं के अपमान का मुद्दा उठा रहे थे तो जाहिर है उनके दिमाग में मायावती का दलित कार्ड और पश्चिम में उभर रहे चंद्रशेखर की सक्रियता के किस्से रहे होंगे।
2014 के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 25 सीटों में भाजपा को 22 पर जीत मिली थी। तब बसपा व सपा के इस समीकरण में भी भाजपा ने जबरदस्त सेंध लगाई थी। बड़ी मुश्किल से तीन सीटें मुलायम परिवार के पास आ पाई थीं। इस बार इस क्षेत्र में भाजपा को कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है। इसका कारण सपा-बसपा के साथ ही रालोद का गठबंधन एवं कांग्रेस की घेरेबंदी है। सहारनपुर में तो पिछली बार कांग्रेस ही दूसरे नंबर पर थी।
विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने सहारनपुर सीट पर अच्छा वोट हासिल किया था। वहां मुस्लिम-दलित समीकरण मजबूत माना जाता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र के सियासी समीकरणों को सहेजने के लिए दलित सम्मान एवं पलायन का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। हाल ही में मेरठ में भीम आर्मी के बीमार नेता चंद्रशेखर को देखने प्रियंका गांधी पहुंचीं तो इसके जरिये उन्होंने संकेत दिए थे कि दलितों को कांग्रेस के पाले में लाने के लिए कसर नहीं छोड़ेंगी।
मोदी जब अमरोहा के गजरौला एवं सहारनपुर की रैलियों में पहुंचे तो उन्होंने इस मुद्दे को न सिर्फ उठाया बल्कि जनता के सामने कांग्रेस को दलित अपमान का दोषी ठहराया। मोदी ने बताया कि जोगेंद्र नाथ मंडल बाबा साहब के सहयोगी और कानूनविद थे। कांग्रेस ने उनका इतना अपमान किया कि बंटवारे के समय वह पाकिस्तान चले गए और वहां के कानून मंत्री बने लेकिन, वहां भी उनका अपमान हुआ। दुखी होकर उन्होंने भारत में शरण ली लेकिन, कांग्रेस ने उन्हें सम्मान से जीने नहीं दिया।
बाबू जगजीवन राम कांग्रेस के बड़े नेताओं में थे। देश की सेना ने जब पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया तो वह देश के रक्षा मंत्री थे लेकिन, एक परिवार के प्रति वफादारी प्रदर्शित करने वाली कांग्रेस ने इसका श्रेय बाबूजी को नहीं दिया। उन्हें कदम कदम पर अपमानित किया गया, जिसके कारण उन्हें भी अलग रास्ता चुनने को मजबूर होना पड़ा।
अब वोट के लिए कांग्रेस आंबेडकर का चित्र अपने मंचों पर लगा रही है। यह वही कांग्रेस है जिसके परिवार की पीढिय़ों ने दशकों तक संसद भवन में आंबेडकर का चित्र नहीं लगने दिया। मोदी ने राष्ट्रवाद का मुद्दा भी जोर शोर से जनता के सामने रखा। प्रकारांतर से मुस्लिम तुष्टिकरण एवं पलायन का मुद्दा उठाकर हिंदुओं के जातीय विभाजन की कोशिशों पर प्रहार किया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह वह क्षेत्र है जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक माने जाते हैं। इस बेल्ट में दलितों की संख्या भी अधिक है। अमरोहा में बसपा-सपा गठबंधन एवं सहारनपुर के कांग्रेस इसी समीकरण को साधने में पूरी ताकत लगा रहे हैं।
मोदी ने भीड़ को यह अहसास भी कराया कि उनकी सरकार के दमदार फैसलों के कारण पूरी दुनिया में भारत का डंका बजा है। खुद को मिले यूएई के सर्वोच्च नागरिक सम्मान को जनता को समर्पित करते हुए स्पष्ट किया कि दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ा है। मुजफ्फरनगर के दंगों में कैराना के पलायन की याद दिलाकर भी उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि भाजपा ने इस क्षेत्र के सामाजिक सुरक्षा के लिए कितना अहम योगदान दिया है।
जाट-गुर्जर व दलित को साधा
सहारनपुर में 35 मिनट के संबोधन में मोदी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हर नस को छुआ। चौधरी चरण सिंह को नमन करते हुए उनके पुत्र चौ. अजित सिंह को दंगाइयों का साथी बताकर 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों का दर्द भी सामने रखा। चौधरी अजित के इस बार मुजफ्फरनगर आने से जाट मतों में बिखराव का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछली बार जाट वोट एकमुश्त भाजपा को मिले थे।
मोदी ने जनता से सवाल पूछा...क्या आप मुजफ्फरनगर के उस जख्म को भूल जाओगे? जनता ने कहा- ना। अजित सिंह पर हमले के साथ उनके पुत्र जयंत चौधरी की हाल में वायरल वीडियो में जाटों का ठेका लेने वाले बयान पर भी मोदी ने घेरा। प्रदेश के सबसे बड़े गुर्जर नेता रहे बाबू हुकुम सिंह को किसानों का नेता बताकर गुर्जर भावनाओं पर हाथ रखा।