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कर-चोरी पर रोक लगाने वाले कदम के रुप में ई-वे बिल को 1 अप्रैल 2018 से देशभर में लागू कर दिया गया था...
नई दिल्ली:-जीएसटी अधिकारियों ने उन कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगना शुरू कर दिया है जिनके कर भुगतान के आंकड़े ईवे बिल से मेल नहीं खा रहे हैं। राजस्व अधिकारियों ने कर चोरी पर रोक लगाने के लिए आपूर्ति आंकड़ों के मिलान की दिशा में यह कदम उठाया है। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है।
कर-चोरी पर रोक लगाने वाले कदम के रुप में ई-वे बिल को 1 अप्रैल 2018 से देशभर में लागू कर दिया गया था। 50,000 रुपये से अधिक के सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए इस नियम की व्यवस्था की गई थी। वहीं राज्यों के भीतर सामानों की आवाजाही के लिए इस बिल को चरणबद्ध तरीके से 15 अप्रैल 2018 से लागू किया गया था।
इसके बाद कर अधिकारियों के संज्ञान में यह जानकारी सामने आई थी कि कुछ ट्रांसपोर्टर्स एक ही ई-वे बिल पर एक-से अधिक बार माल की ढुलाई कर रहे हैं या बिक्री का रिर्टन दाखिल करते समय ई-वे बिल का चालान नहीं दिखाते हैं। इसके अलावा यह जानकारी भी सामने आई थी कि कुछ कारोबारी आपूर्ति के बावजूद ई-वे बिल नहीं कटाते हैं।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) जो कि जीएसटी के लिए प्रौद्योगिकी का तंत्र उपलब्ध कराने वाली कंपनी है ने ई-वे बिल और भुगतान किए गए कर का विवरण कर अधिकारियों को देना शुरू कर दिया है ताकि कर अधिकारी किसी भी तरह की अनियमितता का पता आसानी से लगा सकें।