LokSabhaElection 2019 : गन्ना किसानों के आंसू नहीं पोंछ पाए नेता

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किसानों की समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि सरकारें किसानों के आंसू नहीं पोंछ पाईं हैं। ...

मुरादाबाद:-किसानों की समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि सरकारें किसानों के आंसू नहीं पोंछ पाईं हैं। उनकी फसलों का मूल्य तक समय से तय नहीं हो पाया है। चालू पेराई सत्र में पिछले साल के दामों ही गन्ना बिक रहा है। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होने पर किसानों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन इसे लेकर सरकारें चुप्पी साधे हैं।

गन्ना उत्पादन है अलग मुकाम

मुरादाबाद मंडल का गन्ना उत्पादन में अपना अलग मुकाम है। इस मंडल की 22 चीनी मिलों पर वर्ष 2018-19 के पेराई सत्र का ही 1523 करोड़ 83 लाख 16 हजार बकाया है। गेहंू की फसल बोने के साथ किसानों को अपने बच्चों का स्कूल में दाखिले कराने को इस वक्त रुपयों की जरूरत है। बेटा-बेटियों की शादी करनी है, लेकिन चीनी मिलें हाथ खड़े कर रही हैं और नेता चुप्पी साधे हैं। ऐसे में किसान बेबस है और आंसू बहाने के सिवा कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। लोकसभा चुनाव को लेकर हमारी कुछ किसानों से बात हुई। मोदी सरकार की आयुष्मान, उज्ज्वला, शौचालय जैसे योजनाओं का लाभ तो किसान परिवारों को भी मिला है, लेकिन उनके तो गन्ना बकाया के अलावा और भी कई दर्द हैं। भाजपा के राष्ट्रवाद के मुद्दे पर किसानों का कहना है कि हमसे बड़ा राष्ट्रवादी कौन है। हमारी मेहनत से खेतों में फसलें लहलहाती हैं और हमारे बेटे देश की सीमाओं की पहरेदारी कर रहे हैं। नेता बताएं कि उनके कितने बेटे देश की रक्षा को सेना पर तैनात हैं।

 

मंडल की 22 मिलों पर 1523, 83.16 करोड बकाया

मुरादाबाद मंडल के बिजनौर जनपद में सबसे ज्यादा गन्ने की पैदावार होती है। इसलिए यहां 9 चीनी मिलें हैं। इसके अलावा अमरोहा में तीन, मुरादाबाद में चार, सम्भल और रामपुर में तीन-तीन चीनी मिलें चालू हैं। मंडल की 22 चीनी मिलों पर किसानों का 1523 करोड़ 83 लाख 16 हजार हजार रुपये गन्ने का बकाया है। गेंहू की फसल बोने के लिए किसानों को रुपयों की जरूरत है। बच्चे स्कूल भेजने के लिए किसी को फीस जमा करनी है। कोई बच्चों का दाखिला कराने के लिए गन्ना बकाया के भुगतान की मांग कर रहा है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है।

कागजों पर दिया सत्तर फीसदी भुगतान

कागजों में भुगतान की बात करें तो 70.14 फीसद हो चुका है। सबसे खराब स्थिति चांदपुर और बिजनौर चीनी मिल की है। चालू पेराई गन्ना सत्र में चांदपुर चीनी मिल ने 19.50 फीसद और बिजनौर चीनी मिल ने 20.18 फीसद भुगतान ही किया है। इसके बाद मुरादाबाद की अगवानपुर चीनी मिल का नंबर आता है। अगवानपुर चीनी मिल ने 23.93 फीसद गन्ना बकाया का भुगतान अब तक किया है। केंद्र सरकार ने किसानों के गन्ना बकाया भुगतान को लेकर बैंकों से चीनी मिलों के कर्ज लेने की जो व्यवस्था की है। अगवानपुर, चांदपुर, बिजनौर, बिलाई चीनी मिलें इसके दायरे में नहीं है, क्योंकि 25 फीसद से कम गन्ना बकाया का भुगतान करने वाली चीनी मिलों को बैंकें भी कर्ज देने को तैयार नहीं है।

मुरादाबाद मंडल की चीनी मिलों के बकाया और भुगतान पर एक नजर (लाख में)

चीनी मिल          भुगतान               बकाया

 

धामपुर             47789.05            1754.26

स्योहारा            32251.30             9594.00

 

बिलाई               8394.18                25287.50

बहादुरपुर          26218.24              211.95

 

बरकातपुर         13920.55              14088.45

बुंदकी                27794.66              1620.01

 

चांदपुर               2654.04               10955.73

बिजनौर            1689.55                 6680.92

स्नेह रोड            11738.99                 169.21

धनौरा                 15712.92               15812.85

चांदपुर                18364.75                  3109.88

गजरौला               8358.00                    2721.03

बेलबाड़ा                7984.92                    12720.27

रानीनागल            18362.92                   3278.32

बिलारी                 8540.98                     9038.83

अगवानपुर          4341.16                      13803.58

असमोली             36233.52                    1366.57

रजपुरा                 34271.64                    2409.68

मझावली               2880.07                     5684.74

मिलक नारायणपुर  16136.71                 3093.45

करीमगंज             10244.55                 10329.79

बिजनौर जनपद सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक

जनपद गन्ने की पैदावार

बिजनौर 1837.78 हेक्टेयर

अमरोहा 761.52 हेक्टेयर

मुरादाबाद 618.94 हेक्टेयर

सम्भल 435.19 हेक्टेयर

रामपुर 260.95 हेक्टेयर

 

कुल क्षेत्रफल 3914.38 हेक्टेयर

 

मिलों को दिए गए हैं निर्देश

गन्ना भुगतान के लिए चीनी मिलों निर्देश दिए गए हैं। अगवानपुर चीनी मिल के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया गया है, सबसे अधिक इसी मिल पर बकाया है। लगातार मानीटङ्क्षरग की जा रही है। डीएम साहब ने आज भी भुगतान के संबंध में बुलाया है। इसके अलावा जिन चीनी मिलों के अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. सुभाष यादव, जिला गन्ना अधिकारी

किसानों की परवाह किसी को नहीं

नेता किसी भी दल का हो किसानों की किसी को परवाह नहीं है। भाजपा राष्ट्रवाद की बात कर रही है, किसान से बड़ा राष्ट्रवादी कौन है। हम खेतों में अन्न पैदा करके देश से लोगों का पेट भर रहे हैं। हमारे बेटे सीमा की रक्षा कर रहे हैं। नेता बताएं उनके बेटे कहां है। कांग्रेस 72 हजार रुपये गरीबों को देने की बात कर रही है किसानों की कोई नहीं सोच रहा। इसलिए हमने किसानों को खुली छूट दी है। जिसे चाहो चुनाव लड़ाओ।

मनोज कुमार, जिलाध्यक्ष भाकियू

वादों पर खरे नहीं उतरते नेता

हर राजनीतिक दल का नेता चुनाव में किसानों से गन्ना भुगतान समय से कराने का वादा करता है, लेकिन कोई खरा नहीं उतरता। चुनाव में मुद्दों के बजाए अन्य बातें होने लगती हैं। किसान मायूस है। चाहें राष्ट्रवाद की बात करने वाले नेता हों, कांग्रेस या गठबंधन के नेता इस बार शपथ पत्र लेकर ही प्रत्याशी को वोट देंगे ताकि चुनाव जीतने के बाद नेता के सामने अपनी बात को मजबूती से रख सकें।

महक सिंह, किसान नेता

किसानों के लिए कुछ नहीं किया

विधानसभा चुनाव में भी सभी दलों ने किसानों से वादे किए, लेकिन किसानों के लिए किया किसी ने कुछ नहीं। खेती में इस्तेमाल होने वाले यंत्रों के अलावा खाद तक यूपी में मंहगा बिक रहा है। किसानों को इस समय पैसे की बहुत जरूरत है। बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराना है। बेटियों की शादी करने के लिए रुपयों की जरूरत है, लेकिन चीनी मिलें गन्ना बकाया का भुगतान नहीं कर रही हैं। कोई सुनने को तैयार नहीं है।

मुहम्मद रेहान, किसान

गन्ना बकाया

सरकार कोई भी रहे किसान गन्ना के बकाया भुगतान को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने किसानों का गन्ना बकाया ब्याज समेत भुगतान करने के आदेश दिए थे, लेकिन अभी तक किसानों को उनका मूलधन ही नहीं मिल पाया। आंदोलन करके आवाज बुलंद करने वाले किसानों पर मुकदमे लग गए।

यूरिया और डीएपी महंगी

यूपी में यूरिया अन्य प्रदेशों के मुकाबले मंहगा बिक रहा है। डीएपी के दाम 700 रुपये प्रति क्विंटल बढ़े हैं। एनपीके के दामों में बढ़ोत्तरी हुई है। इसे लेकर किसानों में नाराजगी है। किसानों का कहना है कि फसलों के दामों में बढ़ोत्तरी नहीं होती और खाद के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।

बिजली और डीजल महंगा

किसानों का कहना है कि पंजाब सरकार ने ग्रामीण इलाकों के लिए बिजली फ्री कर रखी है। हरियाणा में 25 रुपये हार्स पावर बिजली किसानों को मिलती है जबकि यूपी में 200 रुपये प्रति हार्सपावर बिजली दी जा रही है। पहले यूपी में घरेलू बिजली का बिल किसान परिवार से 300 रुपये लिया जाता था। अब यह बढ़ाकर 800 रुपये प्रतिमाह कर दिया है। डीजल के दामों में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।

बेसहारा पशु

बेसहारा पशुओं के फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह कोई नई बात नहीं है। हमेशा यह होता है, लेकिन योगी सरकार ने बेसहारा पशुओं को संरक्षण देने के लिए गोशाला बनाने का भरोसा दिलाया है। किसानों का कहना है कि गोशालाएं अभी तक ठीक से संचालित नहीं हो पाई है।  

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