
Rga news
जेट एयरवेज स्टाॅॅफ एसोसिएशन के सैकड़ों सदस्यों ने शुक्रवार को जंतर-मंतर पर एकत्र होकर अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया। इनका कहना था कि जेट का संकट कॉरपोरेट वार की उपज है!...
नई दिल्ली:- निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के विमानों का परिचालन बंद होने के बीच यात्रियों की बढ़ती मुश्किलें कम करने के लिए सरकार मैदान में कूद पड़ी है। विमानन मंत्री सुरेश प्रभु के निर्देश पर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने गुरुवार को पहले एयरपोर्ट ऑपरेटरों और फिर एयरलाइंस कंपनियों के प्रतिनिधियों से चर्चा की। उन्होंने यात्रियों और उद्योग की भलाई के लिए कंपनियों को आपस में सहयोग करने का अनुरोध किया।
सरकार ने एयरपोर्ट ऑपरेटरों और एयरलाइंस से कहा है कि वे जेट एयरवेज की उड़ाने रद होने से परेशान यात्रियों को अन्य उड़ानों में भेजने के लिए आवश्यक इंतजाम करें और उनसे अनाप-शनाप किराया वसूल न करें। एयरलाइंस को केवल नए यात्रियों से ही कुछ अधिक किराया लेने की इजाजत दी जा सकती है। जबकि जेट की रद उड़ानों से प्रभावित यात्रियों से कोई अतिरिक्त किराया नहीं वसूलने को कहा गया है।
एयरपोर्ट ऑपरेटरों को हर एयरपोर्ट पर एयरलाइंस कंपनियों को अतिरिक्त स्लॉट उपलब्ध कराने तथा यात्रियों के लिए अतिरिक्त काउंटर खोलने की व्यवस्था करने को कहा गया है। साथ ही परेशान यात्रियों की मानवीय आधार पर मदद करने की सलाह भी दी गई है।
एयरपोर्ट ऑपरेटरों की बैठक में दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु एयरपोर्ट का जिम्मा संभाल रहे अधिकारियों व प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। एयरलाइंस की बैठक में एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट, विस्तारा, गो एयर और जेट एयरवेज आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दोनो बैठकों में नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के अधिकारी भी मौजूद थे।
जेट संकट के पीछे कॉरपोरेट वार
जेट एयरवेज स्टाॅॅफ एसोसिएशन के सैकड़ों सदस्यों ने शुक्रवार को जंतर-मंतर पर एकत्र होकर अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया। इनका कहना था कि जेट का संकट कॉरपोरेट वार की उपज है, जिसमें स्पर्धी एयरलाइंस कंपनियों की भूमिका है। सरकार को इसमें किसी एयरलाइन के पक्ष में खड़ा नहीं होना चाहिए, अन्यथा इससे संपूर्ण एयरलाइन उद्योग को नुकसान होगा। इसके बजाय सरकार को चाहिए कि वह जेट संकट के समाधान के लिए बैंकों पर 1,500 करोड़ रुपये तत्काल जारी करने का दबाव डाले, जिसका उन्होंने वादा किया था।
कर्मचारी अभी भी जेट के साथ खड़े
कर्मचारियों का कहना था कि जेट के 23,000 कर्मचारियों में 16,000 अब भी कंपनी के साथ हैं। इसी प्रकार 1,400 पायलटों में से 350 ने ही दूसरी कंपनियों को ज्वाइन किया है, जबकि 1050 पायलट अब भी डटे हुए हैं। हम सब कहीं जाने वाले नहीं हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि 10 मई के बाद कोई न कोई निवेशक जेट को संकट से उबार लेगा।
10 मई के बाद ही वेतन संभव
दूसरी तरफ जेट स्टाफ एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मुंबई में सिरोया सेंटर स्थित जेट के मुख्यालय में प्रबंधन से कर्मचारियों के बकाया वेतन के भुगतान को लेकर बात की। उनका कहना था कि जब कर्मचारियों की कोई छटनी नहीं हुई है, तो उन्हें उनका वेतन मिलना चाहिए। इस पर प्रबंधन की ओर से उन्हें बताया गया कि फिलहाल कंपनी के पास वेतन देने के लिए रकम नहीं है। जब तक बैंक मदद नहीं करते या नए निवेशक का चुनाव नहीं हो जाता तब तक कुछ भी संभव नहीं है। कर्मचारियों को 15-20 दिन और धैर्य रखना चाहिए।
यात्रियों को जेट की सलाह:
कंपनी ने रद उड़ानों और एडवांस बुकिंग से प्रभावित यात्रियों को उनकी पूरी रकम रिफंड करने का वादा किया है। लेकिन उसने जेट पोर्टल से बुकिंग करने वाले यात्रियों से कम से कम 10 दिन इंतजार करने को कहा है। हालांकि जिन यात्रियों ने ट्रैवेल एजेंसियों के माध्यम से टिकट बुक कराए हैं उन्हें रिफंड के लिए 20 से 40 दिनों तक सब्र करना पड़ सकता है। सरकार की ओर से भी संकेत दिए गए हैं कि वो जेट की कर्ज समाधान योजना पर निगाह रखे हुए है।