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मुरादाबाद:- सोमवार को गोट गाव धमाके से सिहर उठा। आक्सीजन सिलेंडर के फटने से एक भरे पूरे परिवार की खुशिया छीन लीं। पाच बच्चों की परवरिश करने वाला पिता असमय दुनिया में नहीं रहा। दिल दहलाने वाली इस घटना से ग्रामीण दहशत में आ गए।
कटघर थाना क्षेत्र के गोट गाव की भोर अन्य दिनों की भाति ही सोमवार को भी सामान्य थी। आखें खुलते ही ग्रामीण दिनचर्या में जुटे। कोई खेत की ओर निकला, तो कोई पशुओं के चारे के इंतजाम में जुटा था। महिलाएं घरों की सफाई व नाश्ते की तैयारी में जुटी थीं। तभी गाव में एक तेज धमाका सुनाई दिया। कुछ देर तक शून्य में रहने के बाद लोग जानने में जुटे कि धमाका कहा और कैसे हुआ है। चारों तरफ देखने पर गाव में धूल का गुबार उठता दिखा। ग्रामीण घटनास्थल की तरफ लपके। वहा खून से लथपथ यासीन सड़क किनारे मुंह के बल गिरा मिला। उसके दोनों पाव धमाके में गायब थे। सिर्फ धड़ व सिर ही शेष था। आक्सीजन सिलेंडर कई टुकड़ों में फटा पड़ा मिला। धमाके के कारण घटनास्थल पर दो फीट गहरा व तीन फीट चौड़ा गढ्डा मिला। यासीन को अस्पताल भेजने के बाद ग्रामीण घटना के कारणों की तलाश में जुटे। पूछताछ में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ब्लास्ट होते ही यासीन जमीन से 25 फीट ऊपर हवा में उछला और विद्युत तार से टकराने के बाद वह जमीन पर गिरा। हादसे की भयावहता का अंदाजा सिर्फ इससे लगाया जा सकता है कि यासीन के अंग मास के लोथड़े के रूप में 400 मीटर परिधि में चारों तरफ बिखरे मिले। इसे बटोरने में तीन घटे से भी अधिक का समय लगा। तब यासीन की पत्नी रूबी और उसके बड़े पुत्र हसनैन को पता चल चुका था कि उनकी परवरिश करने वाला दुनिया से चल बसा है। कक्षा छह का छात्र हसनैन अपने छोटे भाइयों शानिब, अनस, रहनुमा को बाहों में जकड़कर रोने लगा। उधर, रूबी बदहवासी में चिल्ला रही थी। ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी बच्चों व उनकी मा को ढाढस बंधाने की कोशिश देर शाम तक जुटे रहे। सावधानी ही बचाव का उपाय आक्सीजन सिलेंडर में ब्लास्ट प्रेशर डिफेंस से होता है, जब सिलेंडर में आक्सीजन का दबाव 500 पीएसआई ( पौंड फोर्स पर स्वाक्यर इंच) से अधिक होता है, तब वह फटता है। एक आक्सीजन सिलेंडर का सामान्य वजन 59 किग्रा होता है। गैस भरने के बाद यह भार 70 किग्रा होता है। भारी भरकम सिलेंडर उतारने में सावधानी बरतने की जरूरत है। वाहन से उतारते वक्त सिलेंडर फेंकना खतरनाक है। सिलेंडर फेंकने से उसके भीतर गैस के दबाव में अंतर उत्पन्न होता है। आक्सीजन सिलेंडर ब्लास्ट होने के और भी कारण हैं। जैसे लीकेज, ज्वलनशील पदार्थ, कंपन आदि। लीकेज की जाच करें। कालातीत सिलेंडर के उपयोग से बचें। अस्पताल अथवा घर तक सिलेंडर ले जाने में छोटी ट्राली का उपयोग हो। या फिर हाथ से उठा कर ले जाएं।
डा. खूब सिंह, प्राचार्य, कोठीवाल इंजीनियड्क्षरग कालेज ऑक्सीजन गैस सिलेंडर का यह है उपयोग आक्सीजन सिलेंडर घुटन के मरीज व दमा के मरीज को दिया जाता है। आम तौर पर उसे घर ले जाने नहीं दिया जाता। लेकिन इमरजेंसी में मरीज को ऑक्सीजन सिलेंडर दिया जाता है। ऑक्सीजन भरने के लिए एजेंसी होती है। वह पहले अपने स्तर पर आक्सीजन गैस सिलेंडर की जाच कर आगे सप्लाई करती है। एजेंसी से अस्पताल में पहुंचने पर उसकी जाच कर स्टोर में रखा जाता है। हर तीन साल में सिलेंडर की जाच की जाती है। ऑक्सीजन सिलेंडर के ऊपरी हिस्से में लगे रेगुलेटर की रोजाना जाच की जाती है। आक्सीजन सिलेंडर कब बना था, होगी जाच कटघर थाना क्षेत्र के गोट गाव में ब्लास्ट हुआ आक्सीजन सिलेंडर कब बना था। यह संदेह होने के बाद पुलिस विस्फोट काड की तह तक जाने में जुट गई है। उन लोगों की तलाश शुरू हो गई है, जो घटना के असल जिम्मेदार हैं।
थाना क्षेत्र के काशीपुर तिराहा चौकी प्रभारी संजीव बालियान के मुताबिक आक्सीजन सिलेंडर विस्फोट की भेंट चढ़ा यासीन अपने दोस्त मोहित का कारोबारी साझीदार था। यासीन के घर के पास ही उन्होंने आफिस खोल रखा था। भरा हुआ आक्सीजन सिलेंडर गोट गाव तक आता था। वहा से यासिन ई रिक्शा के जरिए सिलेंडर का वितरण करता था। चौकी प्रभारी ने कहा कि सिलेंडर फटने के कारणों की तहकीकात शुरू हो गई है। हालाकि यासीन के परिजनों से कोई तहरीर नहीं मिली है, फिर भी यह जानना जरूरी है कि हादसे का असल वजह क्या रही? उन्होंने बताया कि सोमवार को घटना के बाद से ही यासिन के परिजन युवक के अंतिम संस्कार में जुटे थे। ऐसे में उनसे पूछताछ नहीं हो पाई। यासीन के कारोबारी साझीदार से भी पूछताछ होगी। यह जानने का प्रयास होगा कि आखिरकार वह किस कंपनी के साथ मिलकर कारोबार करते थे। घटना स्थल से बरामद सिलेंडर के अवशेष की जाच कराई जाएगी। यह पता लगाने की कोशिश होगी कि सिलेंडर कब बना था। इसके बाद ही पूरी तस्वीर साफ हो पाएगी।