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जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की आंतरिक जांच कमेटी गठित की है। यह कमेटी आजकल सुनवाई कर रही है।
RGA News नई दिल्ली:- मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर लगे अमर्यादित आरोपों की जांच के मामले में नया मोड़ आ गया है। शिकायतकर्ता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने जांच कमेटी की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए जांच कमेटी की कार्यवाही से किनारा कर लिया है। महिला ने आरोप लगाया है कि उसे तीन जजों की आंतरिक जांच कमेटी से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है इसलिए वह आगे से जांच कमेटी की कार्यवाही में भाग नहीं लेगी। महिला ने ये बातें प्रेस बयान जारी कर कहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की आंतरिक जांच कमेटी गठित की है। यह कमेटी आजकल सुनवाई कर रही है। कमेटी में दूसरे नंबर के वरिष्ठतम न्यायाधीश एसए बोबडे व दो महिला न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और इंदू मल्होत्रा शामिल हैं। मंगलवार को कमेटी की तीसरी सुनवाई थी। कमेटी की सुनवाई के कारण तीनोंं न्यायाधीश मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में नियमित अदालत में नहीं बैठे थे। तीनों ही दिन कमेटी की सुनवाई में शिकायतकर्ता महिला पेश हुई थी। सुनवाई सुप्रीम कोर्ट गेस्ट हाउस में हो रही है।
महिला की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पिछली तीन कार्यवाहियों में उसने हिस्सा लिया। उसका कहना है कि इस घटना की मानसिक पीड़ा के कारण उसकी सुनने की क्षमता कम हो गई है। उसने कमेटी से अनुरोध किया था कि उसे अपने साथ वकील रखने की इजाजत दी जाए लेकिन कमेटी ने उसकी मांग ठुकरा दी।
इतना ही नहीं कमेटी की कार्यवाही की कोई आडियो या वीडियो रिकाडिंग भी नहीं हो रही है। महिला का कहना है कि जब 26 अप्रैल को कमेटी की पहली सुनवाई हुई उसी दिन कमेटी के न्यायाधीशों ने उसे बताया कि न तो यह आंतरिक जांच कमेटी है और न ही ये विशाखा गाइड लाइन के मुताबिक सुनवाई हो रही है।
उसे बताया गया कि यह अनौपचारिक कार्यवाही है। कमेटी के न्यायाधीशों ने उससे पूरी बात पूछी जो कि उसने कमेटी को बताई। महिला का कहना है कि वह तीन न्यायाधीशों की उपस्थिति में बिना किसी वकील या सपोर्ट देने वाले व्यक्ति के काफी नर्वस और भयभीत महसूस करती है।
उसका कहना है कि उसने कमेटी से बताया कि इस मानसिक आघात के कारण उसकी एक कान की सुनने की क्षमता चली गई है। इसलिए उसे कोई वकील या सपोर्ट व्यक्ति साथ रखने की इजाजत दी जाए लेकिन कमेटी ने उसकी मांग ठुकरा दी।
महिला का कहना है कि कई बार वह ठीक से नहीं सुन पाती कि कमेटी के न्यायाधीश कोर्ट आॅॅफीसर को उसका क्या बयान दर्ज करा रहे हैं। महिला का कहना है कि उसे उसके बयान की प्रति भी उपलब्ध नहीं कराई गई है। यहां तक कि कमेटी ने उसकी आडियो वीडियो रिकार्डिगं की मांग भी ठुकरा दी। महिला ने और भी कई सवाल उठाते हुए कहा है कि उसे इस कमेटी से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं लगती इसलिए अब वह कमेटी का कार्यवाही में भाग नहीं लेगी।
वकील एमएल शर्मा ने प्रशांत भूषण व अन्य वकीलों पर लगाया आरोप
वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल कर सीजेआई पर अमर्यादित आचरण के आरोप लगाए जाने की साजिश में वकील प्रशांत भूषण व कई अन्य वरिष्ठ वकीलों के शामिल होने का आरोप लगाया है। शर्मा ने याचिका में प्रशांत भूषण के एक आनलाइन पोर्टल मे दिये गये बयान को आधार बनाते हुए कहा है कि भूषण ने स्वीकार किया है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी को हलफनामा दाखिल करने में मदद की थी। शर्मा ने इस मामले में एफआइआर दर्ज कर एसआइटी या सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की है।
मंगलवार को शर्मा ने अपनी यह याचिका मुख्य न्यायाधीश की अदालत के समक्ष मेंशन करते हुए जल्द सुनवाई की मांग की लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने मामले को किसी और अदालत मे मेंशन करने को कहा। जिसके बाद शर्मा ने जस्टिस अरुण मिश्रा की कोर्ट में मामला मेंशन किया लेकिन जस्टिस मिश्रा ने सुनवाई से इन्कार करते हुए किसी वरिष्ठ न्यायाधीश के समक्ष मेंशन करने को कहा। जिसके बाद शर्मा ने जस्टिस एनवी रमना की अदालत में अपनी याचिका मेंशन की लेकिन जस्टिस रमना ने भी मामले पर सुनवाई नहीं की और शर्मा से याचिका को जस्टिस एसए बोबडे की अदालत में मेंशन करने को कहा। जस्टिस बोबडे आज कोर्ट में नहीं बैठे थे।