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RGA News
नई दिल्ली:- शिकायतकर्ता पूर्व महिला कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक कमेटी की रिपोर्ट में सीजेआइ को क्लीनचिट दिए जाने और उसके आरोपों में कोई तत्व नहीं पाए जाने पर गहरी निराशा जताई है। महिला ने कहा है कि तंत्र के अंदर शक्तिशाली के खिलाफ आवाज उठाने वाले गरीब और वंचित वर्ग को न्याय मिलने की व्यवस्था से उसका विश्वास उठता जा रहा है। महिला ने कहा है कि वह अपनी वकील से मशविरा करके अगला कदम उठाने पर फैसला लेगी।
शिकायतकर्ता महिला ने प्रेस रिलीज जारी कर यह प्रतिक्रिया दी है। महिला का कहना है कि उसके साथ घोर अन्याय हुआ है। कमेटी के समक्ष उसने सारी सामग्री दी थी इसके बावजूद उसे न्याय नहीं मिला, इससे वह अब बहुत डरी हुई है। उसे मीडिया रिपोर्ट से यह तो पता चला कि प्रधान न्यायाधीश कमेटी में पेश हुए थे, लेकिन यह नहीं मालूम कि जिन और लोगों के नाम उसने कमेटी को बताए थे और जिन्हें मामले की जानकारी थी, उनकी गवाहियां हुईं या नहीं।
कमेटी ने रिपोर्ट की प्रति उसे नहीं दी है ऐसे में उसे नहीं मालूम कि उसकी शिकायत किस आधार पर खारिज की गई है। महिला ने बताया कि कमेटी ने चार मई को उसे उसके बयानों की कॉपी मुहैया कराई थी और उसने उनमें कुछ संशोधन कर सोमवार को संबंधित रजिस्ट्रार को सौंपा था।
वकीलों और सिविल सोसायटी ने की थी एकतरफा सुनवाई पर आपत्ति
शिकायतकर्ता महिला की ओर से जांच कमेटी पर सवाल उठाए जाने के बाद वकीलों और सिविल सोसायटी के कुछ लोगों ने आंतरिक जांच कमेटी द्वारा एकतरफा सुनवाई जारी रखने का विरोध किया था। उनकी मांग थी कि नई जांच कमेटी गठित हो जो विशाखा गाइडलाइन या कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न कानून के मुताबिक मामले की सुनवाई करे।