World cycle day 2019: भारत साइकिल का दूसरा सबसे बड़ा उत्‍पादक, फिर भी क्‍यों है अन्‍य देशों से पीछे

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World cycle day 2019 साइकिल से चलना हमें शान के खिलाफ लगता है। हालांकि यहां भी जनमानस बदल रहा है। पर्यावरण के बारे में लोग सोचना शुरू कर चुके हैं।...

नई दिल्ली:-इतिहास खुद को दोहरा रहा है। जेट युग से हम फिर अपने मूल यातायात माध्यम पर वापस लौट रहे हैं। आसमान छूती ईंधन कीमतें, सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या और स्वास्थ्य एवं प्रदूषण के प्रति बढ़ती जागरूकता से एक बार फिर दुनिया को साइकिल की सवारी करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। कई देशों में साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की कोशिशें की जा रही हैं। साइकिलें शहरी यातायात परियोजनाओं का प्रमुख हिस्सा बन चुकी हैं। आइए, साइकिल के लिए अनुकूल बनाए गए दुनिया के कुछ चुनिंदा शहरों पर डालते हैं एक नजर:

एम्सटर्डम: नीदरलैंड्स के इस शहर के सभी नियमित आने जाने वालों में 40 फीसद साइकिल के पैडल मार कर ही मंजिल तय करते हैं। शहर में किराए पर साइकिलें दी जाती हैं।

कोपेनहेगन: डेनमार्क के इस शहर के 32 फीसद लोग साइकिल से ही आना जाना पसंद करते हैं। साइकिल संस्कृति यहां लोगों को इतना रास आती है कि महज चंद जमा पर आपको बिना किराए की साइकिलें मिल जाएंगी।

बोगोटा: कोलंबिया के इस शहर में 13 फीसद के पास ही कार है, इससे साइकिल यहां के लोगों के लिए अपरिहार्य बन चुकी है। शहर की प्रमुख सड़कों को सप्ताह में एक दिन के लिए वाहनों से मुक्त रखा जाता है। इस दिन केवल साइकिल सवार, जागिंग और स्केटिंग करने वाले लोग ही चल सकते हैं।

क्युरितिबा: ब्राजील के इस शहर की संरचना में साइकिल यातायात को ध्यान में रखा गया है। हर जगह आपको साइकिल के चलने के लिए अलग लेन दिख जाएगी।

पोर्टलैंड: अमेरिका के इस शहर में साइकिल के लिए बनाई गई सड़कों को दूसरे शहरों से भी जोड़ा गया है।

बासेल: स्विटजरलैंड के इस बेहद खूबसूरत शहर में साइकिलों के चलने के लिए अलग से लेन तैयार की गई है।

बार्सीलोना: स्पेन के इस शहर में साइकिलों के लिए ग्रीन रंग तैयार की गई है। अलग-अलग बाइक स्टेशनों में कहीं से साइकिल किराए पर लेकर कहीं भी जमा कराई जा सकती है।

बीजिंग: वाहनों के धीमे यातायात में साइकिल की सवारी कहीं ज्यादा बेहतर साबित हो रही है। बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते भी साइकिल की सवारी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

ट्रांडहीम: नार्वे के इस शहर में कई चढ़ाईयों के चलते साइकिल चलाना किसी चुनौती से कम नहीं है। जिसके चलते चढ़ाई वाले रास्तों पर ऐसी लिफ्ट लगायी गई है जिसके सहारे साइकिल सवार आसानी से बिना पैडल मारे ऊपर चढ़ जाता है।

साइकिल प्रेमी शीर्ष शहर

हाल ही में बाइसाइकिल सिटीज इंडेक्स 2019 जारी हुआ। दुनिया के 90 शहरों में से नीदरलैंड्स का उट्रेच शहर सर्वाधिक साइकिल प्रेमी के रूप में सामने आया। रैंकिंग में इसे सर्वाधिक 77.84 स्कोर मिला है। 16 कारकों को लेकर यह अध्ययन किया गया। इनमें से मौसम, साइकिल का इस्तेमाल, अपराध और सुरक्षा, बुनियादी ढांचा और साझा करने में शामिल हैं। ताज्जुब होगा कि शीर्ष दस शहरों में से आठ यूरोपीय हैं।

कहां खड़े हैं हम

दुनिया के दूसरे बड़े साइकिल उत्पादक का तमगा भले ही हमें हासिल हो, 40 फीसद भारतीय परिवारों के पास साइकिल होने के बावजूद आज वही साइकिल से चलते है जिनके पास कोई विकल्प नहीं है। साइकिल से चलना हमें शान के खिलाफ लगता है। हालांकि यहां भी जनमानस बदल रहा है। पर्यावरण के बारे में लोग सोचना शुरू कर चुके हैं।

बड़े काम की

  • बिना किसी उत्सर्जन के साइकिल ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में मदद करती है
  • इसके आकार प्रकार के चलते व्यस्ततम ट्रैफिक जाम बाधा नहीं बनते
  • बिना आवाज किए ध्वनि प्रदूषण को रोकने में मदद करती है
  • छोटे मोटे घरेलू सामानों को ढोने के लिए
  • पैदल से तेज गति और आसान, बगैर ईंधन के और कम रखरखाव वाली साइकिल जेब ढीली होने से बचाती है

पैडल मारने से पैर की मांशपेशियां सुगठित और हड्डियां मजबूत होती हैं। क्षमता बढ़ाने के साथ श्वसन तंत्र में सुधार आता है। नियमित साइकिल चालकों में डायबिटीज, दिल के दौरे और आघात की संभावना कम हो जाती हैं।

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