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विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार दिल्ली का सातवां बायोडायवर्सिटी पार्क प्रदूषण से जंग में नया हथियार बनेगा।...
नई दिल्ली:- विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार दिल्ली का सातवां बायोडायवर्सिटी पार्क प्रदूषण से जंग में नया हथियार बनेगा। दक्षिणी दिल्ली में यमुना के पश्चिमी तट पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने इसे तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। डेढ़ साल के भीतर दिल्लीवासी इस नए पार्क के प्राकृतिक माहौल का आनंद ले सकेंगे।
जानकारी के मुताबिक नया बायोडायवर्सिटी पार्क खिजराबाद इलाके में 115 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है। इस पार्क को तैयार करने में शुरुआती स्तर पर लगभग दो करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। पार्क में कृत्रिम जलाशय तो तैयार किए ही जाएंगे, वेट लैंड भी विकसित किया जाएगा। यहां पौधे भी ऐसे ही लगाने की योजना है जो भारतीय पर्यावरण के सर्वथा अनुकूल हों और बाढग़्रस्त क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ सकें। पार्क का डिजाइन नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क की प्रतिकृति होगा।
डीडीए अधिकारियों के मुताबिक जहां यह पार्क तैयार किया जा रहा है, वहां यमुना में नौ गंदे नाले भी गिरते हैं। और तो और यहां एक डंङ्क्षपग ग्राउंड भी बना हुआ है। इसे भी साफ किया जा रहा है। इसके लिए यहां ऐसा वेट लैंड सिस्टम तैयार किया जाएगा कि रिसाइकिल के जरिये गंदे पानी को भी साफ किया जा सके। इससे भूजल भी प्रदूषित नहीं होगा और पार्क पेड़ पौधे भी बेहतर ढंग से बढ़ सकेंगे।
पहले छह बायोडायवर्सिटी पार्क
1. यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क
2. अरावली बायोडायवर्सिटी पार्क
3. नीला हौज बायोडायवर्सिटी पार्क
4. कमला नेहरू बायोडायवर्सिटी पार्क
5. तिलपथ वैली बायोडायवर्सिटी पार्क
6. तुगलकाबाद बायोडायवर्सिटी पार्क
सभी पार्कों में स्कल्पचर भी लगाए जा रहे
पार्कों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए डीडीए ने सभी पार्कों में स्कल्पचर लगाने भी शुरू कर दिए हैं। डीडीए का मानना है कि इनके लगाने से पार्कों को कलात्मक रूप मिलेगा। पार्कों में सैर करने के लिए आने वाले यहां प्राकृतिक नजारों के साथ-साथ कला का नमूना भी देख सकेंगे। उभरते कलाकारों को भी इससे नई पहचान मिलेगी।
डीडीए के उपाध्यक्ष तरुण कपूर का कहना है कि नए बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति तो पहले ही मिल गई थी, लेकिन अब हमने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। सेंटर फॉर एन्वायरनमेंट मैनेजमेंट ऑफ डीग्रेडेड इकोसिस्टम (सीईएमडीई) के प्रमुख और प्रसिद्ध पर्यावरणविद प्रो. सी आर बाबू के मार्गदर्शन में बन रहा यह पार्क पूरी तरह से तो पांच साल में तैयार होगा, लेकिन 2020 के अंत तक घूमने लायक जरूर हो जाएगा। इस पार्क से दिल्ली के पर्यावरण को बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी।