सुबह जल्दी जागने से कम होता है स्तन कैंसर का खतरा, ज्यादा समय तक सोना भी खतरनाक

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RGA News, दिल्ली

नई दिल्ली:- सुबह जल्दी जागने वाली महिलाओं में अन्य की तुलना में स्तन कैंसर का खतरा कम रहता है। ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है। वैज्ञानिकों ने दो अध्ययनों यूके बायोबैंक स्टडी और ब्रेस्ट कैंसर एसोसिएशन कंसोर्टियम स्टडी में शामिल चार लाख से ज्यादा महिलाओं के डाटा का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि सुबह जल्दी जागने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम रहता है। इसी तरह नींद की अवधि और अनिद्रा से भी स्तन कैंसर पर प्रभाव देखा गया। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि सात-आठ घंटे से ज्यादा समय तक सोते रहने से भी स्तन कैंसर का खतरा अपेक्षाकृत बढ़ जाता है।

वर्तमान जीवनशैली और आधुनिकता के चलते कैंसर किसी को भी हो सकता है। स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाली एक भयावह बीमारी है। हालांकि यह एक भ्रम है कि ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ महिलाओं में होता है। आज पुरूषों में भी इस बीमारी की संख्या बढ़ रही है। कैंसर से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है जागरूकता।

महिलाओं और पुरूषों में होने वाले इस कैंसर के वास्तकविक कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि यह हार्मोनल या अनुवांशिक कारणों से होता है। अगर सही समय पर स्तन कैंसर की पहचान कर ली जाए और इसका इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। आइए आपको बताते हैं महिलाओं में स्तन कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण और इलाज के बारें में।

ब्रेस्ट कैंसर के प्रकार

इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा- ब्रेस्ट कैंसर का ये रूप मिल्क डक्ट्स में विकसित होता है। इतना ही नहीं महिलाओं में होने वाला ब्रेस्ट कैंसर 75 फीसदी इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा ही होता है। इस प्रकार का कैंसर डक्ट वॉल से होते हुए स्तन के चर्बी वाले हिस्से में फैल जाता है।

इन्फ्लेमेटरी कार्सिनोमा- ये ब्रेस्ट कैंसर बहुत ही कम देखने को मिलता है। यानी 1 फीसदी भी इस प्रकार का कैंसर नहीं होता। दरसअल इन्फ्लेमेटरी कार्सिनोमा का उपचार बहुत मुश्किल होता है। इतना ही नहीं ब्रेस्ट कैंसर का ये रूप शरीर में तेजी से फैलता है। जिससे महिलाओं की मौत का जोखिम भी बना रहता है।

न्फ्लेमेटरी कार्सिनोमा की ही तरह पेजेट्स डिजीज भी लगभग 1 फीसदी ही महिलाओं में पाया जाता है। ये निप्पल के आसपास से शुरू होता है और इससे निप्पल के आसपास रक्त जमा हो जाता है जिससे निप्पल और उसके चारों और का हिस्सा काला पड़ने लगता है। ब्रेस्ट कैंसर का ये प्रकार भी इन्वेसिव डक्टल कार्सिनोमा की तरह निप्पल के मिल्क डक्ट्स से शुरू होता है। इस प्रकार का ब्रेस्ट कैंसर आमतौर पर उन महिलाओं को होता है जिन्हें ब्रेस्ट से संबंधित समस्याएं होने लगे। जैसे- निप्पल क्रस्टिंग, ईचिंग होना, स्तनों में दर्द या फिर कोई इंफेक्शन होना।

स्तन कैंसर के कारण

स्तन कैंसर के लक्षण

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