मराठा आरक्षण कोर्ट जल्द ही कर सकती है सुनवाई

Praveen Upadhayay's picture

RGA News, दिल्ली

नई दिल्ली, प्रेट्र। महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए कोटा की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया है।

याचिका पर अगले सप्ताह तक सुनवाई हो सकती है। उसमें सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम की बात की गई है। याचिका में मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में 12 प्रतिशत और 13 प्रतिशत कोटा प्रदान किया जाने का जिक्र किया गया है। शीर्ष अदालत द्वारा इंदिरा साहनी मामले में अपने निर्णायक फैसले में आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा, जिसे 'मंडल फैसला'  भी कहा जाता है।

एक एनजीओ, 'यूथ फ़ॉर इक्वलिटी' के प्रतिनिधि संजीत शुक्ला ने याचिका में दावा किया कि मराठा समुदाय के लिए एसईबीसी अधिनियम का निर्धारण 'राजनीतिक दबाव' और समानता और शासन के संवैधानिक सिद्धांतों के 'पूर्ण अवज्ञा' के तहत किया गया था। याचिकाकर्ता वकील पूजा धर के मुताबिक, 'उच्च न्यायालय ने यह निष्कर्ष निकाला है कि अन्य ओबीसी को मराठों के साथ अपने आरक्षण कोटा को साझा करना होगा (यदि मराठा बस मौजूदा ओबीसी श्रेणी में शामिल थे) तो 50 प्रतिशत सीलिंग सीमा का उल्लंघन करने वाले एक असाधारण परिस्थिति का गठन होगा।'

बता दें, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 27 जून के अपने आदेश में कहा थाृ कि शीर्ष अदालत द्वारा लगाई गई आरक्षण पर 50 प्रतिशत की कैप केवल असाधारण परिस्थितियों में पार की जा सकती है।याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा है, 'इंदिरा साहनी मामले में बहुमत यह था कि 50 प्रतिशत की सीमा सीमा एक बाध्यकारी नियम था और केवल एक विवेकपूर्ण नियम नहीं था।'

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.