RGA News, दिल्ली
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर 2018-19 के पेराई सत्र का 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है।..
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाए का लंबे समय से भुगतान नहीं होने और इसमें चीनी मिलों की आनाकानी का मसला सोमवार को संसद में उठा। बकाया भुगतान अटकने से किसानों को हो रही मुश्किलों का जिक्र करते हुए राज्य सरकार पर इस मामले में उदासीनता बरतने का आरोप लगाया गया। साथ ही उत्तर प्रदेश चीनी आपूर्ति अधिनियम के तहत 14 दिनों में किसानों के बकाए का भुगतान करने की मांग भी उठाई गई
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान सपा सांसद सुरेंद्र नागर ने यह मामला उठाते हुए कहा कि किसानों का चीनी मिलों पर 2018-19 के पेराई सत्र का 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। भुगतान में देरी की अवधि को मिला दें तो इसके साथ दो हजार करोड़ का ब्याज भी चीनी मिलों पर बकाया है।
नागर ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश सूबे का सबसे बड़ा गन्ना क्षेत्र है और 42 चीनी मिलों पर अकेले इस इलाके के किसानों का ही पांच हजार करोड़ से ज्यादा मूल बकाया है।
किसानों की आमदनी बढ़ाने की केंद्र सरकार की घोषणाओं पर सवाल उठाते हुए सुरेंद्र नागर ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने की बातें खूब हो रही है। मगर हकीकत में दोगुनी आय तो दूर की कौड़ी है, वास्तव मंे किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम भी नहीं मिल रहा है।
प्रदेश सरकार के रुख को उदासीन बताते हुए नागर ने कहा कि सत्ता में आने पर भाजपा ने 14 दिनों में गन्ना किसानों का भुगतान करने का वादा किया था पर अभी तक यह सिर्फ घोषणा ही रह गई है। चीनी मिलों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान करने के नाम पर मिलें सरकार से पैकेज ले लेती हैं मगर इनका सही इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसके विपरीत पैकेज का चीनी मिलें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करती हैं।
नागर ने कहा कि इसे देखते हुए सूबे के चीनी आपूर्ति अधिनियम के तहत 14 दिनों में गन्ना किसानों का भुगतान अनिवार्य किया जाना चाहिए। किसानों के बकाया भुगतान को लेकर उठाए गए इस मुद्दे का कई दूसरे सांसदों ने भी समर्थन किया।