RGA न्यूज दिल्ली
कर्नाटक चुनाव में पहले से ही गुजरात चुनाव की तरह नीच जैसा मुद्दा ढूंढ रही भाजपा को कांग्रेसने महाभियोग के रूप में एक बड़ा सियासी हथियार पकड़ा दिया है। पार्टी ने कर्नाटक चुनाव और उसके बाद भी सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को नोटिस को संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता खत्म करने से जोडने की रणनीति तैयार की है। इसके अलावा पार्टी इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई से जोडने के लिए भी मंथन कर रही है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर विवाद की सुनवाई सीजेआई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ही कर रही है। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि महाभियोग ठीक उसी तरह कर्नाटक चुनाव में भजपा को सियासी बढ़त देगा जैसा गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर की पीएम के लिए नीच शब्द के इस्तेमाल ने दी थी।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक महाभियोग को राम मंदिर की सुनवाई से जोड़ा जाय या नहीं, इस पर अभी मंथन जारी है। हालांकि यह सच्चाई है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुनवाई को टालने की कोशिश की थी, जिसे सीजेआई ने ठुकरा दिया था। इस दौरान हुई बहस में सिब्बल ने राम मंदिर के विरुद्घ स्टैंड लिया था। ऐसे में इस पूरे मामले को राम मंदिर की सुनवाई से तो जोड़ा जा सकता है, मगर एक पक्ष यह भी है कि ऐसा करने पर कांग्रेस की तरह भाजपा पर भी राजनीति के लिए अदालत का इस्तेमाल करने का आरोप लग सकता है।
पार्टी प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा कि 4-5 महीने के घटनाक्रम पर नजर डालें तो कांग्रेस मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। इस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता को खत्म करने के लिए जस्टिस लोया की मौत मामले को बहाना बनाते हुए सीधे सीजेआई पर निशाना साधा। फैसले की आलोचना हो सकती है मगर किसी जज की नहीं। कांग्रेस इसके खिलाफ बड़ी बेंच में अपील कर सकती थी। मगर उसने ऐसा नहीं किया और पूरे मामले को सीजेआई और सरकार की मिलीभगत के रूप में प्रचारित किया। ऐसे में हम इस मुद्दे पर जनता के बीच जाएंगे।
वहीं गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस अविश्वास के पराकाष्ठा पर पहुंच कर देश में संशय का वातावरण तैयार करना चाहती है। कांग्रेस सेना पर भरोसा नहीं करती। उन्हें सीजेआई- सुप्रीम पर भरोसा नहीं है। कांग्रेस ईवीएम पर सवाल उठा चुकी है। आरबीआई उसके निशाने पर है। पीएम पर उनका भरोसा कभी नहीं रहा। कांग्रेस राष्ट्रपति पर भी भरोसा नहीं करती। चुनाव आयोग पर पहले ही सवाल खड़ा कर चुकी है। इसके बाद उसका कहना है कि देश का लोकतंत्र खतरे में है।