RGA न्यूज़ मुरादाबाद संभल
एक शिक्षक का जज्बा देखिए कि उसने सरकारी स्कूल को कान्वेंट की तर्ज पर विकसित कर दिया। ऐसे में हरेक ग्रामीण अपने बच्चे का इसी स्कूल में पढाना चाहता है। ...
सम्भल, जेएनएन: जहां एक और सरकारी विद्यालयों को लेकर गली मोहल्लों से लेकर गांव की चौपालों पर भी अजीब अजीब तरह के तंज कसे जाते हैं। प्राथमिक विद्यालय हो या उच्च प्राथमिक विद्यालय लोगों की मानसिकता विद्यालय को लेकर बदल पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन प्रतीत होता है। विद्यालय में पढऩे वाले बच्चे को देखकर निर्धन होने का एहसास स्वत: ही हो जाता है। उच्च प्राथमिक विद्यालय व प्राथमिक विद्यालय फतेहपुर विकासखंड गुन्नौर पर ने इस धारणा को बदल दिया है। सह समन्वयक गुन्नौर का पद छोड़कर शिक्षक कालाराम 1 जुलाई 2017 को फतेहपुर गांव के प्राथमिक स्कूल में पहुंचे तो स्थिति बेहद खराब थी। स्कूल की तकदीर तो नहीं बदली जा सकती परंतु स्कूल की तस्वीर अवश्य का संकल्प उन्होंने लिया। उन्होंने स्कूल में घट रही बच्चों की संख्या को बढ़ाने के साथ ही बदहाल स्थिति को सुधारने का प्रण कर लिया। स्कूल भवन की टपकती बिल्डिंग की जर्जर हालत को सही करने में निजी संस्थाओं व अन्य सरकारी मदों से आर्थिक सहयोग लेकर कार्य को आगे बढाया। स्कूल परिसर की खाली पड़ी जमीन पर ग्रामीणों ने कब्जा कर रखा था जिसे कब्जा मुक्त कराके बच्चों के खेलने के योग्य बनाया। आज स्कूल को देखने के बाद ग्रामीण उनके इस प्रयास की सराहना करते हैं।
स्कूल परिसर में लगी फुलवारी व पेड़ पौधे आकर्षण का केंद्र
फतेहपुर गांव में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय का भवन संयुक्त रूप से बना है। स्कूल परिसर में लगी फुलवारी व पेड़ पौधे आकर्षण का केंद्र हैं। पढ़ाई के क्षेत्र में जहां बच्चों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । वहीं सुबह सवेरे बच्चों को स्कूल में बुलाने के लिये ढोल की ध्वनि स्कूल परिसर से सुनाई देने लगती है जो इस बात का संकेत है कि विद्यालय का समय हो चुका है। वहीं प्रार्थना सभा के दौरान अखबार की प्रमुख सुर्खियां बच्चों को पढ़ाकर सुनाई जाती हैं ताकि दुनिया जहान की खबरों से भी बच्चों को रूबरू कराया जा सके वही विद्यालय में प्रोजेक्टर के माध्यम से भी पढ़ाई कराई जाती है। विद्यालय में आने वाले बच्चों की उपस्थिति भी शत-शत दर्ज कराने के लिये शिक्षक कालाराम प्रयासरत रहते हैं, मीना मंच हो या फिर खेलकूद व्यायाम की बात हो या फिर कोई भी त्यौहार हो विद्यालय परिसर में सभी को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है । विद्यालय की सीमा से निकलकर ग्रामीणों को पानी बचाओ के लिये भी प्रेरित करना उनकी जिंदगी का एक हिस्सा है घर घर जाकर अभिभावकों से बच्चों को स्कूल भेजने की विनती करते हुये आये दिन शिक्षक कालाराम गांव में नजर आ ही जाते हैं।