विश्व हिंदू परिषद की भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा से रोक हटाने की अपील, सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

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RGA न्यूज़ नई दिल्ली

नई दिल्ली:-  विश्व हिंदू परिषद ने कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पुरी रथ यात्रा पर पिछले हफ्ते लगाए प्रतिबंध पर दोबारा समीक्षा करने की अपील की है। विहिप ने ओडिशा सरकार पर भी सर्वोच्च अदालत के सामने अपना पक्ष ठीक से न रखने का आरोप लगाया है। 18 जून को लिए फैसले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुरी रथयात्रा मामले से जुड़ी चार याचिकाओं पर सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एस. रवींद्र भट की एकल पीठ 22 जून को सुबह 11 बजे इन मामलों में पर विचार करेंगे जिसमें पुरी रथयात्रा पर रोक के अदालत के फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की गई है। वहीं, ओडिशा सरकार ने रविवार को कैबिनेट की बैठक करके पूरे राज्य में कभीं भी रथ यात्रा नहीं होने देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने की प्रतिबद्धता जताई है।

23 जून से शुरू होनी है रथ यात्रा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आनुषांगिक संगठन विहिप के महासचिव मिलिंद परांदे ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि ओडिशा के इस प्रसिद्ध त्योहार को पूरी तरह से रद नहीं किया जाना चाहिए। विश्व प्रसिद्ध परंपरागत वार्षिक रथ यात्रा पर सैकड़ों सालों में कभी रोक नहीं लगाई गई है। पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा सैकड़ों सालों से होती आ रही है। इसलिए इसका इस साल भी होना जरूरी है। उल्लेखनीय है कि यह रथयात्रा 23 जून से शुरू होनी है।

रथ को हाथियों या मशीन से खिंचवाया जा सकता है

अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए विहिप नेता परांदे ने सुझाव दिया है कि कोरोना संक्रमण के दौर में शारीरिक दूरी के सभी नियमों का पालन करते हुए रथ को हाथियों से या किसी मशीनी सहायता से खिंचवाया जा सकता है। इस धार्मिक समारोह में केवल मंदिर के ही कुछ सीमित संख्या में लोग शामिल हो सकते हैं। इन लोगों को भी जांच के बाद कोविड-नेगेटिव आने के बाद ही इसमें शामिल किया जाएगा। रथ यात्रा को प्रतीकात्मक रूप में पवित्र 'बड़ा डंडा' में आयोजित कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा रास्ता निकाला जाना चाहिए ताकि प्राचीनकाल से होती आ रही रथयात्रा रुके ना और ¨हदुओं की आस्था को आघात न लगे

ध्यान रहे कि विगत गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एक एनजीओ की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा था, 'इन हालात में पुरी रथयात्रा को मंजूरी दी तो भगवान जगन्नाथ भी कभी माफ नहीं करेंगे।'

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