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आपतकालीन फंड के बारे में करें विचार P C : Pixabay
पिछले वर्ष हम सब जिस संकट से गुजरे हैं उसने अधिकतर लोगों की इस मान्यता को तोड़कर रख दिया है कि आपातकालीन हालात से सबका एक साथ सामना नहीं होगा। उसी तरह कारोबार से जु़ड़े लोगों को यह भरोसा होता है कि उनका रोजमर्रा का काम चलता रहेगा।
कोरोना संकट के दौरान हम सबने काफी कुछ सीखा है। इस संकट ने हमें कई मायनों में आत्मनिर्भर बनने की सीख दी है। लेकिन सबसे बडी सीख पर्सनल फाइनेंस को लेकर है, क्योंकि यह महामारी खत्म हो जाने के वर्षों बाद तक हम सबके लिए प्रासंगिक रहने वाली है। सीख यह है कि मुसीबत कभी भी आ सकती है और सब पर एक साथ आ सकती है। ऐसे में बेहतर यही है कि आपातकालीन फंड को गंभीरता से लें और उस हिसाब से निवेश की रणनीति बनाएं।
मुझे लगता है कि हम लोग महामारी से मिली सीख को लेकर थोड़ा थक गए हैं। हेल्थ की बात हो, अपना काम हो, खाना बनाना हो या खुद के बाल काटने हों। हमने महामारी के दौरान बहुत कुछ सीखा है। मुझे पता नहीं कि कितने लोगों ने खुद अपने बाल काटना सीखा है। लेकिन महामारी ने पर्सनल फाइनेंस के लिहाज से हमें सबसे ज्यादा सीखने का अवसर दिया है। बाल काटने और खाना बनाने के मुकाबले पर्सनल फाइनेंस से मिली सीख थोड़ी अलग है।
अलग इसलिए, क्योंकि पर्सनल फाइनेंस से मिली सीख की जरूरत महामारी खत्म होने के बाद भी रहेगी। महामारी ने हमें एक बहुत अहम बात सिखाई है। आपातकालीन हालात आते हैं। और अक्सर ये हमारी उम्मीदों से कहीं ज्यादा असर डालने वाले होते हैं। इसलिए आपातकालीन फंड बनाना पर्सनल फाइनेंस की रणनीति का सबसे अहम हिस्सा होना चाहिए।
आमतौर पर यह बात सभी लोग समझते हैं। लेकिन जब जीवन सरल-सहज तौर पर चल रहा होता है, तो अक्सर लोग इस बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं कि उनको आपातकालीन हालात का सामना कभी भी करना पड सकता है। बहुत से लोगों को इस बात ने चौंकाया है कि आमतौर पर हर व्यक्ति, समुदाय, शहर, देश और पूरी दुनिया आपात स्थिति का सामना कर रह रही थी।
आम तौर पर लोग सोचते हैं कि आपात स्थितियों का सामना करना भी पडा तो परिवार या दोस्तों से मदद मिल जाएगी। उनकी यह सोच इस मान्यता पर आधारित है कि इस बात की संभावना बेहद कम है कि जब उनके सामने आपात स्थितियां आएंगी उसी समय उनके परिवार के लोग और दोस्त भी आपातकालीन हालात का सामना कर रहे होंगे।
पिछले वर्ष हम सब जिस संकट से गुजरे हैं, उसने अधिकतर लोगों की इस मान्यता को तोड़कर रख दिया है कि आपातकालीन हालात से सबका एक साथ सामना नहीं होगा। उसी तरह कारोबार से जु़ड़े लोगों को यह भरोसा होता है कि उनका रोजमर्रा का काम चलता रहेगा। यह बात शायद ही किसी ने सोची होगी कि हर चीज पर आपातकालीन हालात का असर होगा। हालांकि, तथ्य यह है कि पिछले 100 वर्षो में पूरी दुनिया में और निश्चित तौर पर भारत में ऐसे आपातकालीन हालात पैदा हुए हैं, जिनका असर पूरे समाज पर पडा है।
वर्ष 2020 का सबसे अहम संदेश यह है कि हमें नए सिरे से इसका आकलन करने की जरूरत है कि हालात कितनी तेजी से खराब से बहुत खराब हो सकते हैं। आखिरकार हम अपने निवेश का नए सिरे से आकलन कर ही रहे हैं। ऐसा नहीं है कि निवेश बदल गया है, बल्कि हमारे हालात बदल गए हैं। और अगर हालात नहीं भी बदले हैं तो हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि हालात भविष्य में और बुरे हो सकते हैं।