राज्यों को मिला पूरा जीएसटी कंपनसेशन, अगले वित्त वर्ष में कमी का अनुमान

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Centre 100 Percent GST compensation shortfall released to States and UTs

सीतारमण ने कहा कि जीएसटी कानून के मुताबिक जीएसटी काउंसिल इस संबंध में फैसला करेगी। अभी तक काउंसिल ने इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं रखा है। जीसएटी काउंसिल में राज्यों के भी प्रतिनिधि हैं।

नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि राज्यों को 1.10 लाख करोड़ रुपये अनुमानित जीएसटी कंपनसेशन की पूरी राशि दी जा चुकी है। इस मद में हाल में 4,104 करोड़ रुपये की आखिरी किस्त दी गई। मंत्रालय ने बताया कि 1,01,329 करोड़ रुपये की राशि राज्यों को और 8,879 करोड़ की राशि तीन केंद्रशासित प्रदेशों को द

राज्यों को इस क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र ने पिछले साल अक्टूबर में विशेष कर्ज की व्यवस्था की थी। इस बीच, रेटिंग एजेंसी इकरा ने अगले साल की जीएसटी कंपनसेशन राशि का अनुमान दिया है। एजेंसी का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में राज्यों को 2.7 से तीन लाख करोड़ रुपये तक की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इसमें से सेस कलेक्शन में 1.6 से दो लाख करोड़ रुपये की कमी रहने का अनुमान है। इस स्थिति में राज्यों को बाजार से 2.2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज उठाना पड़ सकता है।

उधर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पेट्रोल-डीजल, जेट ईधन (एटीएफ) और गैस को जीएसटी के दायरे में लाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। गौरतलब है कि देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर पहुंचने के बाद पेट्रोल व डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की चर्चा जोर पकड़ने लगी थी। हालांकि, जीएसटी के दायरे में लाने पर केंद्र व राज्य पेट्रोल व डीजल के लिए अलग-अलग टैक्स नहीं वसूल पाएंगे। 

सीतारमण ने कहा कि जीएसटी कानून के मुताबिक जीएसटी काउंसिल इस संबंध में फैसला करेगी। अभी तक काउंसिल ने इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं रखा है। जीसएटी काउंसिल में राज्यों के भी प्रतिनिधि हैं। 

एक साल पहले केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19.98 रुपये प्रति लीटर का उत्पाद शुल्क वसूलती थी। अभी सरकार 32.9 रुपये वसूलती है। वहीं डीजल पर उत्पाद शुल्क 15.83 रुपये से 31.8 रुपये हो गया है। 

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