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RGA न्यूज़
गोरखपुर और आसपास जिलों की नदियों में बाढ़ के सीजन में अक्सर मगरमच्छ और घडिय़ाल देखे जाते हैं। इनको चिडिय़ाघर के जू कीपर काबू करेेंगे। इसके लिए चिडि़याघर के जू कीपरों को प्रशिक्षित किया गया है। लखनऊ की टीम ने सभी को प्रशिक्षण दिया है।
गोरखपुर, आसपास की नदियों से निकलकर आबादी में आ जाने वाले मगरमच्छ व घडिय़ालों को चिडिय़ाघर के जू कीपर काबू करेेंगे। लखनऊ से आई टीएसए (टर्टल सर्वाइवल एलायंस) की तीन सदस्यीय टीम ने शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिडिय़ाघर) में दो दिन रुक कर मगरमच्छ और घडिय़ालों की देखभाल करने वाले जू कीपरों को इसके लिए प्रशिक्षित किया है। प्रशिक्षण के दूसरे दिन मंगलवार को चिडिय़ाघर के एक ही तालाब में रखे गए आठ मगरमच्छों में से कुछ को आसपास बने दो तालाबों में स्थानांतरित किया भी गया।
गोरखपुर और आसपास जिलों की नदियों में बाढ़ के सीजन में अक्सर मगरमच्छ और घडिय़ाल देखे जाते हैं। कई बार ये जलचर नदी से निकलकर आबादी वाले इलाके में आ जाते हैं। जिससे ग्रामीणों का जीवन संकट में पड़ जाता है। इनसे बचने के लिए ग्रामीण इन्हें मार भी डालते हैं। इन जलचरों के निकलने की जानकारी होने पर पहले वन विभाग की टीम उन्हें पकडऩे के लिए भेजी जाती थी, लेकिन अब यह काम चिडिय़ाघर के प्रशिक्षित कर्मचारी करेंगे।
जू कीपरों को दिया प्रशिक्षण
मगरमच्छ और घडिय़ाल को पकडऩे के लिए लखनऊ से आई टीएसए की टीम ने चिडिय़ाघर के निदेशक डा. एच राजामोहन और पशु चिकित्साधिकारी डा. योगेश प्रताप सिंह की देखरेख में जू कीपरों को प्रशिक्षित किया। इस दौरान उन्हें इन दोनों जीवों को पकडऩे के तौर-तरीके बताए गए। साथ ही उनके हमले से बचाव करने और इन जलजीवों को सुरक्षित पकडऩे और उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने के बारे में बताया गया। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद जू कीपरों चिडिय़ाघर के एक तालाब में रखे गए आठ मगरमच्छों कुछ को पकड़कर आसपास के दूसरे तालाब में पहुंचाने का सफल प्रयोग किया गया। चिडिय़ाघर में मगरमच्छों के लिए तीन तालाब बने हुए हैं, लेकिन एक ही तालाब में आठ मगरमच्छ रखे गए थे।