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शासन अब जनपद के सबसे लोकप्रिय खेल की ढांचागत सुविधाएं बढ़ाएगा और इन सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाले खिलाडिय़ों में से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करेगा। कुश्ती में सफलता का परचम लहरा चुके गोरखपुर के कई पहलवानों की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैं।
गोरखपुर, एक जिला-एक उत्पाद योजना की तर्ज पर अब एक जिला एक खेल भी होगा। अब गोरखपुर जनपद का खेल होगा कुश्ती। नौ माह पूर्व 23 सितंबर को कुश्ती को इस योजना में शामिल करने के लिए जिलाधिकारी के.विजयेंद्र पांडियन की संस्तुति पर क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी द्वारा शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। जिस पर शासन ने हरी झंडी दे दी है।
शासन अब जनपद के सबसे लोकप्रिय खेल की ढांचागत सुविधाएं बढ़ाएगा और इन सुविधाओं का इस्तेमाल करने वाले खिलाडिय़ों में से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करेगा। कुश्ती में सफलता का परचम लहरा चुके गोरखपुर के कई पहलवानों की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैं। ऐसे में जनपद का खेल बनने के कारण एक बार फिर कुश्ती के दिन बहुरेंगे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है गोरखपुर के पहलवानों की पहचान
कुश्ती में सफलता का परचम लहरा चुके गोरखपुर के कई पहलवानों की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हैं। इनमें अंतरराष्ट्रीय पहलवान पन्ने लाल यादव, रामाश्रय यादव, स्व.जनार्दन सिंह, दिनेश सिंह, राजनारायण मिश्रा, चंद्र विजय सिंह, जनार्दन यादव, अमरनाथ यादव, राममिलन यादव, रामनिवास यादव, अनूप यादव, तालुकदार यादव, स्व.गामा मिश्रा, पुष्पा यादव, वैष्णवी सिंह, हरेंद्र सिंह तथा लालबचन यादव के नाम शामिल हैं। इनके अलावा चार दर्जन से अधिक पहलवान राष्ट्रीय फलक पर भी जनपद का झंडा बुलंद कर चुके हैं।
यह हैं कुश्ती के एक जिला एक खेल में शामिल होने के कारण
जनपद में कुश्ती के लिए संसाधन के साथ-साथ दो दर्जन से अधिक अखाड़े हैं, जहां खिलाड़ी नियमित अभ्यास कर सकते हैं। कुश्ती यहां के खिलाडिय़ों का प्रिय खेल रहा है. वर्तमान में जिले में जहां कुश्ती होती है. उनमें क्षेत्रीय क्रीड़ांगन के साथ-साथ, वीर बहादुर ङ्क्षसह स्पोट््र्स स्टेडियम, सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम, ज्ञान ङ्क्षसह व्यायामशाला, स्व.जनार्दन ङ्क्षसह, रूद्रपुर, पक्कीबाग, शिवाजी व्यायामशाला टाउनहाल, मोहद्दीपुर, सहोडवा, स्व.जयनारायण, मंझरिया, छपरा, मड़ापार, गोकुल, महंथ दिग्विजय, घुनघुन कोठा, मानीराम, कनईचा, बांसगांव, वैशाली, अवधेश, पांडेयपार, तालनवर व्यायामशाला समेत बेलीपार, गगहा और चौरीचौरा में व्यायामशाला है, जहां कुश्ती के खिलाड़ी नियमित अभ्यास करते हैं।
पहले चल रहा था हाकी का नाम
क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी अरूणेंद्र पांडेय का कहना है कि खेलो इंडिया के तहत शासन ने एक जिला एक खेल के लिए गत 23 सितंबर को प्रस्ताव मांगा था। चूंकि यहां से हाकी के भी कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं। ऐसे में पहले उसी का नाम चल रहा था, लेकिन इसके लिए यहां पर्याप्त मैदान व संसाधन नहीं होने के कारण अंत में कुश्ती के नाम पर ही अंतिम मुहर लगी। क्षेत्रीय क्रीड़ांगन समेत यहां दो दर्जन से अधिक अखाड़े हैं, जहां खिलाड़ी नियमित अभ्यास करते हैं। इसलिए प्रस्ताव में कुश्ती का नाम भेजा गया था। भारतीय कुश्ती टीम के कोच चंद्रविजय सिंह का कहना है कि एक जिला एक खेल में कुश्ती के शामिल होने से यहां के नवोदित पहलवानों को वह तमाम सुविधाएं अब मिलेंगी जिसके कारण कुश्ती को बढ़ावा नहीं मिल पाता था। कुश्ती में पहलवानों की रुचि बढ़ेगी तो एक बार फिर यहां से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहलवान निकलेंगे।