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RGA न्यूज़
दुषित और खुले में िबिकने वाले खाद्य पदार्थों को खाने से लोग बीमार हो रहे हैं। वायरल फीवर कालरा और डायरिया के मरीज बढे हैं। जिला अस्पताल के साथ ही अन्य अस्पतालों में भी इन दिनों इन मरीजों की संख्या बढ गई है।
दुषित खाद्य पदार्थों को खाने से बीमार पड रहे लोग।
गोरखपुर, जिला अस्पताल में पिछले 15 दिनों से टायफाइड के मरीज आने लगे हैं। रोज मेडिसिन के आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) में इस बीमारी के 10 से 12 मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें लगभग 65 फीसद मरीजों के बीमार होने का कारण दूषित खाद्य पदार्थ हैं। उन्होंने बीमार होने के चार-पांच दिन पूर्व बाजार में खुले में रखे गए समोसे व पकौड़ी, बालूशाही, कटा हुआ पपीता आदि खाया था। 15 दिन में 170 मरीजों में टायफाइड की पुष्टि हुई है। इसमें से 110 ने बाहर के दूषित खाद्य पदार्थों का सेवन किया था।
मौसमी बीमारियों का बढा प्रकोप
जिला अस्पताल के ओपीडी में वायरल फीवर, कालरा, डायरिया के साथ टायफाइड ने भी दस्तक दे दी है। डाक्टरों के मुताबिक बरसात के मौसम की वजह से बीमारियां बढ़ गई हैं। ऐसे में सावधान रहने की जरूरत है। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। बाहर की कोई चीज न खाएं। लक्षण दिखें तो तत्काल डाक्टर से सलाह लेकर दवा शुरू कर दें। जिला अस्पताल में इस बीमारी की दवाएं व जांच की सुविधा उपलब्ध है। जरूरत पडऩे पर तत्काल मेडिसिन ओपीडी में डाक्टर को दिखाएं।
दिखे यह लक्षण तो तुरंत जाएं डाक्टर के पास
तेज बुखार, सिर दर्द, कब्ज या डायरिया, भूख न लगना, सीने पर लाल रंग के निशान, ठंड लगना, दर्द और कमजोरी महसूस होना, पेट दर्द आदि होना टायफाइड की चपेट में आने की निशानी है। ये लक्षण दिखाई दें तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करें। समय से उपचार न होने पर स्थित गंभीर हो सकती है।
दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से होता है टायफायड
जिला अस्पताल के फिजिशियन डा. राजेश कुमार बताते हैं कि टायफाइड दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के सेवन से होती है। बारिश व बाढ़ के मौसम में इस बीमारी के मरीज बढ़ रहे हैं। बाहर का कुछ भी न खाएं। बचाव ही बेहतर उपचार है।
साफ-सफाई का रखें ध्यान
जिला अस्पताल में फिजिशियन डा. बीके सुमन बताते हैं कि टायफायड से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं कि कुछ भी खाने-पीने के पहले हाथों की साबुन-पानी से ठीक से सफाई कर लें। बाजार में खुले में रखा कोई सामान न खाएं। साफ व शुद्ध पानी का ही सेवन करें।