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RGA News नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अपना एक नौ साल पुराना फैसला वापस ले लिया है। जिसमें उसने तीन अभियुक्तों को मृत्युदंड की पुष्टि की थी और तीन की उम्रकैद की सजा बढ़ाकर मृत्युदंड देने का आदेश दिया था। जस्टिस कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा, मामले को दोबारा से सुना जाएगा क्योंकि तीन दोषियों को अपना बचाव करने का मौका नहीं दिया गया, न ही उन्हें वकील मुहैया कराया गया। कोर्ट ने कहा, मामले को दिवाली के बाद फिर से सुनवाई पर लाया जाए, उचित पीठ के सामने इसे सूचीबद्ध किया जाए।
गैगरेप और हत्या का मामला
महाराष्ट्र में नासिक की अदालत ने छह लोगों को गैंगरेप और एक ही परिवार के बच्चों समेत पांच सदस्यों की हत्या (आईपीसी की धारा 302/34 और 376 -2 -जी) करने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई थी। बंबई हाईकोर्ट ने तीन अभियुक्तों की फांसी की सजा बरकरार रखी
ओपन कोर्ट में सुनी पुनर्विचार याचिकाएं
अभियुक्तों द्वारा 2010 और 2011 में दायर पुनर्विचार याचिकाएं भी सुप्रीम कोर्ट ने बंद कमरे में खारिज कर दी थीं। इसके बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले (मो. आरिफ बनाम रजिस्ट्रार सुप्रीम कोर्ट, 2014) को देखते हुए समीक्षा याचिकाएं फिर से खोलने और उन्हें ओपन कोर्ट में सुनने के लिए अर्जी दायर की।
सरकार ने की थी अपील
यह मामला राज्य सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट आया। शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2009 को अंबादास लक्ष्मण शिंदे समेत तीन की फांसी की सजा की पुष्टि कर दी। शीर्ष अदालत ने राज्य की अपील स्वीकार करते हुए शेष तीन अभियुक्तों को जिन्हें उम्रकैद की सजा मिली थी, उन्हें भी फांसी की सजा सुनाई थी।