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वाकिफ कहां जमाना हमारी उड़ान से वो और थे जो हार गये आसमां से। जी हां हौसलों से तकदीर बदलने का जज्बा रखने वाले किसी शायर की चंद पंक्तियों को महराजगंज जिले के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हिरेंद्र चरितार्थ कर रहे हैं।
बैगन के खेत में काम करते किसान हिरेंद्र।
गोरखपुर,। वाकिफ कहां जमाना हमारी उड़ान से, वो और थे जो हार गये आसमां से। जी हां हौसलों से तकदीर बदलने का जज्बा रखने वाले किसी शायर की चंद पंक्तियों को महराजगंज जिले के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले हिरेंद्र चरितार्थ कर रहे हैं। बुलंद हौसलों से कुछ अलग करने की सोच रखने वाले सदर विकास खंड के लखरहिया के किसान हिरेंद्र सब्जी की खेती कर खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
पहले करते थे परंपरागत खेती
हिरेंद्र ने कहा कि पहले परंपरागत धान गेहूं की खेती करते थे। हमेशा रुपये के लाले थे। तब हमने कुछ हट कर खेती करने की सोची और सब्जी की खेती शुरू किया। पहले तीन मंडा में सब्जी लगाया पचास हजार रुपये का मुनाफा हुआ। अब हम केवल सब्जी की खेती तीस साल से कर रहा हूं। सब्जी की खेती में पत्नी तेतरी देवी तथा लड़का विष्णु भी सहयोग करते हैं।
डेढ़ एकड़ में शुरू की सब्जी की
डेढ़ एकड़ में की सब्जी की खेती हिरेंद्र ने बताया कि हमारे पास दो एकड़ खेत हैं। हमने अपने डेढ़ एकड़ खेत में गोभी, टमाटर और बैंगन की खेती की हुई हैं। अभी तक अस्सी हजार रुपये निकल चुके हैं। आधे एकड़ में खाने के लिए गेहूं बोया हूं। हमारे परिवार आठ लोग हैं। हमारे नाती नतिनी कान्वेंट स्कूलों में पढ़ रहे हैं। हिरेंद्र ने बताया कि हम तीस वर्षों से सब्जी की खेती कर रहे हैं। इसी से चार बच्चियों की शादी कर चुके हैं। स्वजन खुशहाल जीवन जी रहा हैं।
के लोग भी हुए प्रेरित
हिरेंद्र ने कहा कि इनकी प्रेरणा से गांव निवासी ईसा 5 मंडा गोभी, योगेंद्र साहनी 4मंडा गोभी, ब्रह्मानंद 2मंडा गोभी, वीरेंद्र एक एकड़, छैबर साहनी डेढ़ एकड़ , नसरु तीन मंडा, बउध साहनी 5 मंडा गोभी 2 मंडा टमाटर, जददू 6 मंडा गोभी और पड़ोही सब्जी की खेती कर खुशहाल जीवन जी रहे हैं।