यूपी चुनाव 2022 : बदले राजनीतिक समीकरण की कसौटी पर कुशीनगर विधानसभा

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RGA न्यूज़

कई दशक तक सपा के ब्रह्माशंकर त्रिपाठी व भाजपा के सूर्यप्रताप शाही के आमने-सामने मुकाबले के कारण प्रदेश भर में यह सीट चर्चित रही। 2007 के चुनाव में शाही ने पथरदेवा का रुख कर लिया अब त्रिपाठी भी यहीं से उनके सामने हैं।

बदले राजनीतिक समीकरण की कसौटी पर कुशीनगर विधानसभा।

गोरखपुर, इस बार कुशीनगर विधानसभा सीट का चुनाव बदले राजनीतिक समीकरण की कसौटी पर होगा। 40 वर्ष बाद ऐसा पहली बार होगा कि पूर्व मंत्री व सपा नेता ब्रह्माशंकर त्रिपाठी चुनाव मैदान में नहीं होंगे। भाजपा से नया चेहरा मैदान में उतर चुका है। सपा, बसपा व कांग्रेस से भी नए चेहरों की दावेदारी है। इन सभी दलों से इनमें से ही किसी के उतरने की संभावना है। ऐसे में चेहरे तो बदले होंगे ही, राजनीतिक समीकरण भी बदला हुआ होगा।

ब्रह्माशंकर व सूर्य प्रताप के मुकाबले की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहती थी सीट

कई दशक तक सपा के ब्रह्माशंकर त्रिपाठी व भाजपा के सूर्यप्रताप शाही के आमने-सामने मुकाबले के कारण प्रदेश भर में यह सीट चर्चित रही। 2007 के चुनाव में शाही ने पथरदेवा का रुख कर लिया, अब त्रिपाठी भी यहीं से उनके सामने हैं। कुशीनगर में भाजपा ने वर्तमान विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी का टिकट काटकर पीएन पाठक पर दांव लगाया है। सपा में टिकट के लिए पूर्व प्रमुख राजेश प्रताप राव उर्फ बंटी और पूर्व राज्यमंत्री रहे राधेश्याम सिंह की दावेदारी है।

बसपा व कांग्रेस से इन्‍होंने पेश की दावेदारी

बसपा से पूर्व नगरपालिका चेयरमैन मुकेश्वर मद्धेशिया, कांग्रेस से एडवोकेट जगदंबा सिंह, अमित मिश्रा, राधे विश्वकर्मा, सीमा शर्मा आदि की टिकट की दावेदारी है। इन पार्टियों के उम्मीदवार सामने आने के बाद ही असल में समीकरण बनने बिगड़ने शुरू होंगे। इस सीट पर 2002 व वर्ष 2007 में सूर्यप्रताप शाही को हराकर व 2012 में जगदीश मिश्र उर्फ बाल्टी बाबा को हराकर ब्रह्माशंकर त्रिपाठी ने जीत की हैट्रिक लगाई थी

2017 में भाजपा उम्‍मीदवार की हुई थी जीत

2017 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रजनीकांत मणि त्रिपाठी चुनाव जीते थे। तब बसपा प्रत्याशी रहे राजेश राव दूसरे स्थान पर रहे। ब्रह्माशंकर तीसरे स्थान पर पहुंच गए थे। राजनीतिक समीक्षक कह रहे हैं कि सभी दलों के प्रत्याशियों के सामने आने के बाद ही समीकरण को लेकर सटीक रूप से कुछ कहा जा सकता है, लेकिन इतना तो तय है कि इस बार बदले समीकरण पर ही चुनाव होगा।

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