मिलिए दिल्ली पुलिस के दो सबसे भरोसेमंद और तेज तर्रार सिपाहियों से- बाबू और बेब

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KRGA News दिल्ली

जब भी दिल्ली पुलिस को किसी गंभीर अपराध का कोई सुराग तलाशना हो या फिर किसी वीवीआईपी कार्यक्रम को पूरे सुरक्षा बंदोबस्त के साथ आयोजित करना हो, तो उसे अपने दो सबसे भरोसेमंद और तेज तर्रार साथियों 'बाबू' और 'बेब' की याद आती है। दिल्ली पुलिस के टॉप ट्रैकर बाबू और बेब देश के टॉप डॉग हैं। कई कुत्ते किसी अपराध को ट्रैक करने में काफी वक्त लगाते हैं, लेकिन बाबू और बेब अपराध के घंटों बाद गंध सूंघकर संदिग्धों तक पहुंचा देते हैं। पांच साल का लैब्राडोर डॉग बाबू स्निफिंग में माहिर है। जबकि उसकी बहन बेब किसी विस्टोफक सामग्री को सूंघ कर पता लगाने के मामले में काफी तेज है। 

ऑल इंडिया पुलिस मीट 2018 में बाबू ने ट्रैकिंग डॉग कॉम्पीटीशन में गोल्ड मेडल जीता जबकि बेब ने विस्फोटक सामग्री का पता लगाने की प्रतिस्पर्धा में ब्रांज मेडल जीता। इन बाबू की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी शेयर की जा रही है। पिछले शनिवार 72वीं रेजिंग डे परेड ऑफ दिल्ली में बाबू ने भी हिस्सा लिया था, वायरल तस्वीर उसी  दौरान की है। 

दिल्ली पुलिस डॉग स्क्वॉएड के इन-चार्ज सब इंस्पेक्टर धर्मवीर ने कहा, ' हमारी स्क्वॉएड में ये दो कुत्ते सबसे बेहतरीन हैं। बाबू हत्या समेत कई अन्य गंभीर अपराधों को अंजाम देने वाले अपराधियों तक हमें पहुंचाता है। और जब किसी विस्फोटक सामग्री का पता लगा लगाना या फिर किसी बड़े कार्यक्रम में वीआईपी क्षेत्र की स्निफिंग करवानी हो, तो बेब हमारी काफी बेहतर ढंग से मदद करती है। रिपब्लिक डे की तैयारियों के दौरान बेब का काफी यूज किया गया। बेब उस डॉग स्क्वॉएड में प्रमुख है जो प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य वीवीआईपी लोगों के आने-जाने के रूट की सूंघ-सूंघ (स्नीफिंग) कर सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। 

27 अप्रैल, 2014 को जन्मे बाबू और बेब की ट्रेनिंग मध्य प्रदेश में बीएसएफ के नेशनल ट्रेनिंग सेंटर में हुई। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें मेरठ छावनी लाया गया और फिर 2016 में उन्हें दिल्ली पुलिस की डॉग स्क्वॉएड में शामिल किया गया। 

डॉग हैंडलर हेड कांस्टेबल विशाल सिंह ने बताया कि उन्हें छह माह की उम्र में ही ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया था। नार्कोटिक्स और विस्फोटक सामग्री का पता लगाने के लिए बाबू की ट्रेनिंग 36 सप्ताह तक चली और बेब की 24 सप्ताह। समय-समय पर उन्हें टेस्ट पास करने होते हैं। 

बेब जहां जमीन के 1 किमी. भीतर तक दबे संदिग्ध पदार्थ का सूंघ कर पता लगा लेती है। और बाबू तीन किलोमीटर की दूरी तक किसी संदिग्ध को ट्रैक कर लेता है। 

सिंह ने कहा, दिल्ली की मॉडल टाउन इलाके में 18 अन्य कुत्तों के साथ रहने वाले बाबू और बेब का दिन सुबह 6 बजे से शुरू होता है। एक वॉक के बाद उनकी तीन घंटे तक ट्रेनिंग होती है। परेड प्रैक्टिस भी होती है। सुबह साढ़े 9 बजे उन्हें दूध और रोटियों का ब्रेकफास्ट दिया जाता है। शाम में भी यही ड्रिल होती है। शाम साढ़े 5 बजे डिनर में उन्हें ज्यादातर दलिया और मटन दिया जाता है।  

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