चीन के लिए पाकिस्तान पोषित जैश सरगना मसूद अजहर को बचाना नामुमकिन

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पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुहम्मद फैसल ने सुरक्षा परिषद में वितरित किए गए अमेरिकी प्रस्ताव पर हताशा जाहिर की।...

 नई दिल्ली:-जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अजहर को बचाने में जुटे पाकिस्तान और इस काम में उसकी मदद कर रहे चीन के लिए अब आगे की राह उतनी आसान नहीं होगी। अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए अमेरिका ने अब सीधे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में एक नया प्रस्ताव भेजा है। ब्रिटेन और फ्रांस की मदद से लाए गए इस प्रस्ताव को रोकना चीन के लिए आसान नहीं है। यही वजह है कि अमेरिकी प्रस्ताव पर चीन ने बेहद तल्ख प्रतिक्रिया दी है। उसने एक बार फिर इस प्रयास में रोड़ा अटकाने के संकेत देते हुए अमेरिका से सोच-समझ कर कदम उठाने के लिए कहा है।

अभी तक संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिए गठित समिति (1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति) के तहत सुरक्षा परिषद में अजहर के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाता रहा है। भारत व इसके मित्र देश चार बार प्रस्ताव ला चुके हैं। हर बार चीन के असहयोग के कारण जैश सरगना अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित होने से बचता रहा है। इस समिति के तहत जो प्रस्ताव लाया जाता है उसके खिलाफ कोई भी एक सदस्य वोटिंग करता है तो वह रद हो जाता है। सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य देशों को प्रस्ताव लाने के 10 दिनों के भीतर इसका विरोध करना होता है। हर बार चीन निर्धारित अवधि समाप्त होने के कुछ घंटे पहले इसका विरोध कर अंतरराष्ट्रीय कोशिशों पर पानी फेर चुका है। पिछली बार 13 मार्च, 2019 को यूएनएससी के 15 में से 14 सदस्य देशों ने इसका समर्थन किया था।

इस बार यह है फर्क

अमेरिका ने अब जो प्रस्ताव रखा है उसके तहत अनापत्ति अवधि का कोई प्रावधान नहीं है। सदस्य देशों के बीच इस पर चर्चा होगी और फिर इस पर वोटिंग किस दिन कराई जाए, इसका फैसला होगा। वैसे चीन अभी भी वीटो कर इस प्रस्ताव को गिरा सकता है।

चीन ने कहा, ताकत न दिखाए अमेरिका

चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इस प्रस्ताव पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा है कि यह किसी मुद्दे को बातचीत से सुलझाने का तरीका नहीं है। इसने आतंकवाद के खिलाफ यूएन की समिति के अधिकारों को भी घटाने का काम किया है। यह इस मामले में सहयोग की भावना के भी खिलाफ है। हम अमेरिका से आग्रह करते हैं कि वह इस बारे में सोच समझ कर कदम उठाए और प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए ताकत का प्रयोग न करे।

भारत ने कहा, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई आगे बढ़ी

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पूरे मामले पर बेहद सतर्कता भरी प्रतिक्रिया जताई है। कहा कि आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया है। जैश के बारे में भारत का विचार जगजाहिर है। जैश-ए-मुहम्मद ने हाल ही में पुलवामा में भारतीय अर्धसैनिक बल पर हमला कराया है। यह हमारे लिए सही नहीं रहेगा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रखे गए प्रस्ताव पर कुछ बयान दें क्योंकि यह परिषद के सदस्यों के बीच का मामला है।

अमेरिका ने कहा था, दूसरे विकल्प पर कर रहे विचार

अजहर के खिलाफ 13 मार्च, 2019 को जब यूएनएससी की निर्धारित समिति में प्रस्ताव पारित नहीं हो सका तो अमेरिका ने कहा था कि वह दूसरे रास्ते पर विचार कर रहा है। फ्रांस की तरफ से भी यह कहा गया था कि वह जैश सरगना पर अंकुश लगाने के लिए दूसरे विकल्पों में सहयोग करने को तैयार है।

चीनी पाखंड बर्दाश्त नहीं: पोंपियो

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने चीन के विरोध पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, 'दुनिया मुस्लिमों के प्रति चीन के पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती है। एक तरफ चीन अपने यहां लाखों उइगर मुस्लिमों का शोषण कर रहा है और दूसरी तरफ वह एक आतंकी संगठन के मुखिया को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध से बचा रहा है।'

प्रस्ताव से पाकिस्तान हताश

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुहम्मद फैसल ने सुरक्षा परिषद में वितरित किए गए अमेरिकी प्रस्ताव पर हताशा जाहिर की। यह मामला जब प्रतिबंध समिति के पास विचाराधीन है तब अमेरिकी प्रस्ताव आया है। प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के कदम से स्थापित प्रक्रिया में गतिरोध पैदा होगा और प्रतिबंध व्यवस्था कमजोर होगी। पाकिस्तान यूएन प्रतिबंध व्यवस्था के तहत अपनी जवाबदेही निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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