दुनिया के बड़े-बड़े पहलवानों को चित करने वाले ओलंपियन सुशील अब राजनीति में लगाएंगे दांव

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ओलंपियन सुशील कुमार अब लोकसभा चुनाव-2019 में राजनीति के अखाड़े में दांव आजमाएंगे। दरअसल कांग्रेस ने पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर सुशील कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है। ...

नई दिल्ली:-2019: पहलवानी की दुनिया में बड़े-बड़े धुरंधरों को चित करने वाले ओलंपियन सुशील कुमार (sushil Kumar) अब लोकसभा चुनाव-2019 में राजनीति के अखाड़े में दांव आजमाएंगे। दरअसल, कांग्रेस ने पश्चिमी दिल्ली (West Delhi) लोकसभा सीट पर सुशील कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस जाट बहुल सीट पर फिलहाल दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत साहिब सिंह वर्मा के पुत्र प्रवेश वर्मा सांसद हैं। सुशील कुमार और प्रवेश वर्मा दोनों के ही जाट समुदाय का होने के चलते यहां पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। वर्तमान में सुशील भारतीय रेलवे (Indian Railway) में असिस्टेंट कमर्शियल मैनेजेरिअल के पद पर कार्यरत हैं। राजनीति में नौसिखिया सुशील ने खेल की दुनिया में बड़ा नाम कमाया है, जो फिलहाल इतिहास बन चुका है। ओलंपिक में इंडिविजुअल गेम की कैटेगरी में भारत ने कभी दो बार मेडल नहीं जीते हैं। ऐसा करने वाले पहलवान सुशील कुमार इकलौते भारतीय खिलाड़ी हैं।

सुशील कुमार की सामने होगी बड़ी चुनौती

  • पश्चिमी दिल्ली सीट से लड़ने जा रहे कांग्रेस के उम्मीदवार सुशील के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा होंगे, जैसा कि संभावित है भाजपा से उन्हें ही टिकट मिलेगा। ऐसे 38 वर्षीय सुशील पहली बार कोई चुनाव लड़ रहे हैं और उनके खिलाफ पांच साल का सफल सांसद होगा। यह एक बड़ी चुनौती है।
  • कांग्रेस दिल्ली में अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी है, ऐसे में सुशील के पास पुराने कांग्रेस मतदाताओं को वापस लाने के साथ युवा मतदाताओं को भी पार्टी को पाले में लाना होगा, जो आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) और भाजपा के पाले में चले गए हैं।
  • पश्चिमी दिल्ली में ग्रामीण इलाके भी शामिल हैं, जिसमें जाट मतदाताओं की संख्या भी है। ऐसे में सुशील को जाट मतदाताओं के साथ अन्य जाति के मतदातोँ को भी साधना होगा।
  • इस सीट पर सुशील के सामने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भी चुनौती पेश करेंगे, जो सुशील का वोट काट सकता है। ऐसे में सुशील को न केवल AAP के वोट अपने पाले में लाने होंगे, बल्कि बूथ मैनेजमेंट भी मजबूत करना होगा। 

विवादों में भी रहे हैं सुशील

पहलवान सुशील कुमार ने कामयाबी की बुलंदियों को छुआ है, लेकिन इसी के साथ वह विवादों में भी रहे हैं। रियो ओलंपिक-2016 के दौरान 74 किलोग्राम वर्ग में सुशील कुमार की जगह नरसिंह यादव को भेजने का फैसला लिया गया था। इसके बाद जमकर व‍िवाद हुआ था। दरअसल, नरसिंह विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर आए थे। इसके बाद सुशील ने ट्रायल की मांग की थी। वहीं, नरसिंह इसके बाद डोपिंग में फंस गए थे।

वहीं, कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स 2018 के लिए क्वालिफाई करने में नाकाम रहे पहलवान प्रवीण राणा और सुशील कुमार के समर्थकों में मारपीट हुई थी। तब भी उनका नाम विवाद में रहा था।

सुशील पर बनाई जा रही फिल्म
दो बार ओलंपिक मेडलिस्‍ट रहे सुशील कुमार की बायोपिक पर काम शुरू हो गया है। बॉलीवुड के द‍िग्‍गज फ‍िल्‍ममेकर प्रकाश झा उन पर फ‍िल्‍म बनाएंगे।  प्रकाश झा ने ओलंपिक मेडलिस्‍ट सुशील कुमार की बायोपिक के ल‍िए राइट्स खरीद लिए हैं और काम शुरू कर दिया है। इस फ‍िल्‍म के स्‍क्रीन प्‍ले और डायलॉग पर काम जारी है। प्रकाश झा जल्‍द ही हिंदुस्‍तान के इतिहास के सबसे चर्च‍ित और सफल पहलवान सुशील कुमार की फ‍िल्‍म की शूटिंग जल्‍द शुरू करने वाले हैं।

यह रोचक विवाद भी जुड़ा है सुशील कुमार से
ओलंपिक में दो पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने वर्ष-2017 में राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप के पुरुषों के 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल प्रतियोगिता में क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले खेले बिना ही स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। दरअसल, तीनों अहम मुकाबलों में प्रतिद्वंद्वी पहलवानों ने सम्मान देते हुए लड़ने से मना कर दिया था। एक पहलवान ने तो पैर छूकर मैदान छोड़ दिया था।

हुआ यूं कि सुशील को इस प्रतियोगिता में सिर्फ एक मिनट 33 सेकेंड की कुश्ती लड़नी पड़ी। फाइनल में सुशील का मुकाबला प्रवीण राणा से था, लेकिन चोटिल होने के कारण मुकाबले में नहीं उतरे। इससे पहले क्वार्टर फाइनल में उन्हें प्रवीण ने वॉकओवर दिया तो वही सेमीफाइनल में सचिन दहिया उनके खिलाफ मैदान में नहीं उतरे।

जन्म स्थान : बापरोला, दिल्ली

पिता का नाम : दीवान सिंह

माता का नाम : कमला देवी

खेल : फ्री स्टाइल रेसलिंग

सुशील कुमार मूलरूप से दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली में नजफगढ़ के पास बापरोला गांव के निवासी हैं। सुशील के करीबी रिश्तेदार संदीप भी पहलवाल रह चुके हैं।  संदीप से ही प्रेरित होकर सुशील रेसलिंग करियर के प्रति जागरूक हुए और इस ओर उनका रुझान बढ़ा। 

पहलवानी की दुनिया में अपने दांव से दुनिया के धुरंधरों को चित करने वाले सुशील ने सिर्फ 14 वर्ष की उम्र से दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में पहलवानी सीखनी शुरू कर दी थी। करियर में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए सुशील कुमार ने 66 किलो ग्राम में वर्ष 2010 वर्ल्ड टाइटल जीता था। इसके बाद सुशील ने वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल और फिर 2008 में बीजिंग ओलंपिक्स ब्रोंज मेडल अपने नाम किया। सुशील कुमार को जुलाई 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा जा चुका है। 

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