संसद में 30 साल गुजारने के बाद 'सुमित्रा ताई' अब प्रवचन में लगाएंगी मन

Praveen Upadhayay's picture

संसद में जीवन के 30 साल गुजार चुकी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (ताई) अब प्रवचन में मन लगाएगी। साथ ही पार्टी और सामाजिक गतिविधियों में ---

RGA News

संसद में जीवन के 30 साल गुजार चुकी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (ताई) अब प्रवचन में मन लगाएगी। साथ ही पार्टी और सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहेगी।...

नई दिल्ली। लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर (संसद) में जीवन के 30 साल गुजार चुकी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (ताई) अब प्रवचन में मन लगाएगी। साथ ही पार्टी और सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहेगी। हालांकि, इस दौरान उनका संसद से दूर होने का दर्द भी छलका और कहा कि संसद में बिताए गए 30 वर्षों को भूलना आसान नहीं होगा, पर वह बीच-बीच में आती रहेगी।

सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने शुक्रवार को भविष्य की योजना पर 'जागरण' से बातचीत की। उन्होंने बताया कि प्रवचन और सामाजिक गतिविधियों से वह पहले से भी जुडी रही थी। राजनीति में आने से पहले वह प्रवचन करती थी। यह उनका प्रिय विषय रहा है। इंदौर से लगातार आठ बार सांसद रही महाजन ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया था।

संसद में हंगामे, गतिरोध और भाषा के सवाल पर उन्होंने कहा कि सदस्यों से सदैव हमारी यही अपेक्षा रहती है, कि वह सदन में अपनी बात नियमों के तहत ही रखे। इसके लिए हम जीतकर आने वाले नए सदस्यों को प्रशिक्षण भी देते है। साथ ही उन्हें नियमों की पूरी जानकारी भी उपलब्ध कराई जाती है। इस बार तो हम किताबों के साथ सभी नए सांसदों को एक पेन ड्राइव भी देंगे, जिसमें संसद में उनसे अपेक्षित व्यवहार और नियम-कायदों को पूरी जानकारी मौजूद रहेगी।

उन्होंने कहा कि उनका फोकस लोकसभा में जीत कर आने वाले नए सदस्यों पर है। इसके तहत हम उन्हें एक बेहतर सत्कार देने की तैयारी कर रहे है, ताकि उन्हें यह आभास हो सके, कि वह किसी बड़ी जगह पर और किसी बड़े काम के लिए आए है। ऐसे में वह हंगामे के बजाय जनता से जुड़े मुद्दों को उठाने पर ध्यान दे सकेंगे।

य,नई दिल्ली। लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर (संसद) में जीवन के 30 साल गुजार चुकी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (ताई) अब प्रवचन में मन लगाएगी। साथ ही पार्टी और सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहेगी। हालांकि, इस दौरान उनका संसद से दूर होने का दर्द भी छलका और कहा कि संसद में बिताए गए 30 वर्षों को भूलना आसान नहीं होगा, पर वह बीच-बीच में आती रहेगी।

सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने शुक्रवार को भविष्य की योजना पर 'जागरण' से बातचीत की। उन्होंने बताया कि प्रवचन और सामाजिक गतिविधियों से वह पहले से भी जुडी रही थी। राजनीति में आने से पहले वह प्रवचन करती थी। यह उनका प्रिय विषय रहा है। इंदौर से लगातार आठ बार सांसद रही महाजन ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया था।

संसद में हंगामे, गतिरोध और भाषा के सवाल पर उन्होंने कहा कि सदस्यों से सदैव हमारी यही अपेक्षा रहती है, कि वह सदन में अपनी बात नियमों के तहत ही रखे। इसके लिए हम जीतकर आने वाले नए सदस्यों को प्रशिक्षण भी देते है। साथ ही उन्हें नियमों की पूरी जानकारी भी उपलब्ध कराई जाती है। इस बार तो हम किताबों के साथ सभी नए सांसदों को एक पेन ड्राइव भी देंगे, जिसमें संसद में उनसे अपेक्षित व्यवहार और नियम-कायदों को पूरी जानकारी मौजूद रहेगी।

उन्होंने कहा कि उनका फोकस लोकसभा में जीत कर आने वाले नए सदस्यों पर है। इसके तहत हम उन्हें एक बेहतर सत्कार देने की तैयारी कर रहे है, ताकि उन्हें यह आभास हो सके, कि वह किसी बड़ी जगह पर और किसी बड़े काम के लिए आए है। ऐसे में वह हंगामे के बजाय जनता से जुड़े मुद्दों को उठाने पर ध्यान दे सकेंगे।

News Category: 

Scholarly Lite is a free theme, contributed to the Drupal Community by More than Themes.