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दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर पर सेल्फी लेने की कोशिश में एक-दूसरे को धक्का दे रहे लोग चोटी तक पहुंचने के लिए लाइन में बिताने पड़ रहे कई घंटे।...
नई दिल्ली:-दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट इन दिनों चर्चा में है। 8,848 मीटर ऊंची इस चोटी को फतह करने की चाहत में जान गंवाने वाले पर्वतारोहियों के कारण एक नई चिंता उभरी है। इस साल अब तक चार भारतीयों समेत 10 लोगों की जान जा चुकी है। पर्वतारोहियों और विशेषज्ञों का मानना है कि एवरेस्ट पर बढ़ती भीड़ के कारण इतने लोगों को जान गंवानी पड़ी है।
एवरेस्ट पर भीड़ का आलम ऐसा है कि बमुश्किल टेबल टेनिस की दो टेबल के बराबर जगह में 15 से 20 पर्वतारोहियों को खड़े होना पड़ रहा है। लोगों को आगे बढ़ने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है। एवरेस्ट से चढ़ाई कर लौटे डॉक्टर एड डोरिंग ने जो आपबीती सुनाई है वह चौंकाने वाली है। अमेरिकी राज्य एरिजोना के रहने वाले डोरिंग ने बताया, ‘यह बेहद डरावना था। वहां चिड़ियाघर जैसे हालात थे। हर व्यक्ति सेल्फी लेने के चक्कर में एक-दूसरे को धक्का देने में लगा था।’ उन्होंने बताया कि चोटी के छोटे से समतल हिस्से पर 15 से 20 लोग थे। वहां पहुंचने के लिए घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ा। सब एक-दूसरे से सटे थे। इस बीच उन्हें एक महिला पर्वतारोही का शव पार करके भी जाना पड़ा, जिसकी कुछ समय पहले मौत हुई थी।
नेपाल सरकार पर लग रहे आरोप
एवरेस्ट के प्रसिद्ध पर्वतारोही एलन आर्नेट ने कहा, ‘आपको आयरनमैन बनने के लिए परीक्षा देनी पड़ती है। मैराथन में हिस्सा लेने के लिए शर्ते पूरी करनी पड़ती हैं। तब फिर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई के लिए कोई नियम क्यों नहीं होना चाहिए?’ जानकारों का कहना है कि सुरक्षा संबंधी कई शिकायतों के बाद भी नेपाल सरकार हर साल पर्वतारोहियों की संख्या बढ़ा रही है। इस साल मार्च के बाद से शुरू हुए पर्वतारोहण के सीजन के लिए 381 लोगों को परमिट जारी किया गया। नेपाल सरकार पर आरोप लग रहा है कि पैसा कमाने के लिए वह लोगों की जान से खेल रही है। भ्रष्टाचार चरम पर है।
सरकार ने दावों को किया खारिज
नेपाल सरकार ने पर्वतारोहियों की मौतों के लिए भीड़ को एकमात्र वजह मानने से इन्कार कर दिया है। देश के पर्यटन विभाग के निदेशक जनरल दंदु राज घिमिरे ने कहा कि विपरीत मौसम और अधिक ऊंचाई पर बने दबाव को सहन नहीं कर पाने के कारण भी कई पर्वतारोहियों की जान गई है। मृतकों के प्रति अपनी संवेदनाएं जताते हुए पर्यटन विभाग के निदेशक घिमिरे ने कहा, ‘इस बार पर्वतारोहण का सीजन अपेक्षाकृत छोटा था और 381 लोगों को चढ़ाई करनी थी। इसी कारण कई बार एवरेस्ट पर जाम जैसी स्थिति बन गई। लेकिन केवल भीड़ बढ़ने से ही मौतें नहीं हुईं।’
भीड़ और अनुभवहीनता से जा रही जान
जानकारों का कहना है कि लोगों की जान जाने के पीछे कारण मौसम या चढ़ाई नहीं बल्कि जरूरत से ज्यादा लोगों को वहां जाने की अनुमति देना है। बड़ी संख्या में अनुभवहीन लोग चढ़ाई कर रहे हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें यह अंदाजा भी नहीं है कि पहाड़ पर चढ़ाई कैसे करते हैं? ऐसी अनुभवहीनता उस व्यक्ति के साथ-साथ अन्य पर्वतारोहियों के लिए भी घातक साबित होती है। कई लोगों का कहना है कि भीड़ बढ़ने के कारण पर्वतारोहियों को चोटी पर चढ़ते और उतरते समय घंटों लंबी लाइन में खड़े रहना पड़ा। इससे हुई थकावट ने कुछ लोगों की जान ले ली।