लाइफ इंश्‍योरेंस का प्रीमियम बढ़ने के ये हैं कारण, पॉलिसी लेने से पहले जान लें ये बात

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इंश्योरेंस कंपनी प्रीमियम तय करते वक्त कई कारकों को ध्यान में रखती है और आज हम आपको कुछ खास कारकों के बारे में बता रहे हैं।...

नई दिल्ली:-लाइफ इंश्योरेंस इंसान की जिंदगी में बहुत ज्यादा अहमियत रखता है। लाइफ इंश्योरेंस की भूमिका किसी व्यक्ति के न रहने पर उसके परिवार को आर्थिक रूप से मदद मुहैया करवाने की होती है। प्रत्येक को यह सलाह दी जाती है कि पहली नौकरी की शुरुआत से ही इंश्योरेंस करवा लेना चाहिए। छोटे कार्यकाल की अवधि वाली पॉलिसी लंबी कार्यकाल की अवधि वाली पॉलिसी से महंगी होती हैं। इंश्योरेंस प्रीमियम को कई कारक प्रभावित करते हैं। उम्र और लिंगभेद के अलावा कई कारकों से इंश्योरेंस प्रीमियम प्रभावित होता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इंश्योरेंस कंपनी प्रीमियम तय करते वक्त कई कारकों को ध्यान में रखती है और आज हम आपको कुछ खास कारकों के बारे में बता रहे हैं।

1. अगर आप धुम्रपान करते हैं तो इससे इंश्योरेंस कंपनी लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को बढ़ा सकती है। स्मोकिंग करने पर कैंसर और अन्य बीमारी होने के चांस ज्यादा रहते हैं, इसलिए धुम्रपान करने वालों को इंश्योरेंस का ज्यादा प्रीमियम चुकाना होता है। कंपनी इंश्योरेंस देते वक्त इसकी जांच करती है और अगर आप धुम्रपान नहीं करते हैं तो आपका कम प्रीमियम देना होगा।

2. पॉलिसी होल्डर का प्रोफेशन एक अहम कारक है, जिससे प्रीमियम का अमाउंट तय होता है। अगर पॉलिसी होल्डर का प्रोफेशन ज्यादा रिस्की है जैसे पायलट तो उसको ज्यादा प्रीमियम देना होगा। अगर आपका प्रोफेशन ज्यादा रिस्की है आप खतरनाक गतिविधियों में शामिल रहते हैं तो आपको ज्यादा प्रीमियम चुकाना होगा।

3. इंश्योरेंस पॉलिसी देते वक्त कंपनी उस व्यक्ति की पूरी जांच करती है। इसमें लंबाई, वजन, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल आदि की जांच की जाती है। अगर आप मोटापे से जूझ रहे हैं तो कंपनी इसके लिए अधिक प्रीमियम तय करेगी। मोटापे की वजह से कैंसर, दिल का दौरा पड़ना और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस की संभावना ज्यादा रहती है।

4. अगर आपको स्काईडाइविंग, कार रेसिंग, माउंटेन क्लाइम्बिंग या अन्य ज्यादा रिस्क वाली एक्टिविटी का शौक है तो इससे आपका इंश्योरेंस प्रीमियम ज्यादा बढ़ सकता है।

5. अगर आपको कोई hereditary disease है तो आपको लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए ज्यादा प्रीमियम देना होगा। बीमा कंपनियां मेडिकल हिस्ट्री की जांच करती हैं और साथ ही चेक करती हैं कि आपको कोई पुरानी बीमारी तो नहीं है। 

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