लोकप्रिय पुस्तक के विमोचन पर व्यंग्य: समोसों से किताब ज्यादा बिकी, आभारी रहूंगा जीवन भर

RGA न्यूज़ उत्तर प्रदेश
गुरुजी को विमोचन का इतना अभ्यास था कि किसी भी किताब को देखते ही उनके ‘कर-कमल’ फड़फड़ाने लगते।...
पुस्तक मेले में घुसते ही ‘वह’ दिखाई दिए। मैं कन्नी काटकर निकलना चाहता था, पर उन्होंने मुझे पकड़ ही लिया और पन्नी में लिपटी अपनी किताब पकड़ा दी। फिर फुसफुसाते हुए बोले, ‘अब आए हो तो विमोचन करके ही जाओ। तुम मेरे आत्मीय हो। आपदा में अपने ही याद आते हैं।’ मैंने भी अनमने ढंग से कहा, ‘कोई वरिष्ठ नहीं मिला क्या? मैं तो आपसे कितना छोटा हूं।’
विमोचन के लिए कोई भी ‘डेट’ खाली नहीं